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किसी भी विपदा के समय में व्यक्ति की हर तरह की भूमिका इतिहास में दर्ज होती हैं-रतन लाल डांगी

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बिलासपुर । एक बार जंगल में लगी आग को बुझाने सभी जानवर आखिरी सांस तक प्रयास कर रहे थे सिवाय उस बंदर के जो एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर छलांग लगा रहा था। तभी उसने एक चिडिय़ा को देखा जो नदी किनारे जाकर अपनी चोंच में पानी भरकर उड़ती और आग बुझाने के लिए उस पर डालती। तभी बंदर ने उसको देखकर पूछा तुम्हारे इस चोंच भरे पानी से क्या आग बुझेगी ? चिडिय़ा बोली यह सही है कि मेरे इस प्रयास से आग तो नहीं बूझेगी लेकिन जब भी जंगल में लगी इस आग का इतिहास लिखा जाएगा तब मेरा नाम आग बुझाने वालों में होगा ना की दूर बैठकर तमाशा देखने वालों में और आग लगाने वालों में। इस महामारी में अपने स्तर पर सकारात्मक कार्य करते रहना चाहिए। कई लोग आपके सेवा कार्य को देखकर हतोत्साहित करेंगे और कहेंगे क्यूं परेशान हो रहे हो आपके इतना करने से क्या फर्क पड़ेगा।लेकिन याद रखना चिडिय़ा के द्वारा कही गई अंतिम पंक्तियां।

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