बिलासपुर । कोरोना महामारी के बारूद बैठा बिलासपुर कोरोना महामारी की वजह से ही नहीं परेशान नहीं है.. बल्कि जिला प्रशासन के रवैये और कालाबाजारियों के नरभक्षिता से परेशान नजऱ आ रहा है.. जिले में रोजाना 1000 से ऊपर संक्रमितों मिलने का सिलसिला जहां एक ओर खतरे को बढ़ाता जा रहा है.. तो वहीं दूसरी ओर लापरवाही और जिला प्रशासन की निष्क्रियता भी इसमें बराबर की सहभागिता निभाते नजर आ रही है.. भले जिला प्रशासन लॉकडाउन को लेकर अपनी पीठ जितनी भी थपथपाए लेकिन यह बात उजागर हो चुकी है कि.. दबे पांव सारे धंधे शहर में संचालित हो रहे हैं और इतना ही नहीं आधी शटर खोलकर और सामान पूरे देने की एवज में तय कीमतों से ज्यादा वसूली भी खुलेआम की जा रही है.. जिसे देखकर भी जिला प्रशासन आंख मूंदे नजर आ रहा है। पिछले दिनों बिलासपुर में महामारी को देखते हुए जिला कलेक्टर ने 14 अप्रैल से 21 अप्रैल तक जिले के सीमाओं को सील करते हुए लॉकडाउन लगाया था.. इस दौरान प्रतिबंधों का अच्छा असर देखने को मिला.. लेकिन इस दौरान संक्रमण के मामलों में कमी नहीं होने की वजह से लॉकडाउन में विस्तार करते हुए 26 अप्रैल तक कर दिया गया था.. जिसके बाद शहर में खुलेआम कालाबाजारियों की चांदी कटनी शुरू हो गई थी.. नियमों को शिथिल करते हुए लगाए गए लॉकडाउन में का फायदा उठाकर शहर में प्रतिबंधित सामानों की दुकान भी खोल कर व्यापारी व्यापार करने लगे और कई कीमतों से अधिक दर पर सामान बेचने लगे।
26 अप्रैल के बाद फिर लॉक डाउन को एक बार फिर 6 मई की सुबह तक बढ़ा दिया गया है.. लेकिन इस दौरान लॉकडाउन का थोड़ा असर कहीं भी देखने को नहीं मिल रही है.. सुबह शाम चौक चौराहों पर चाय से लेकर समोसे तक के दुकान खोले जा रहे हैं.. इस दौरान उच्च अधिकारियों की रोक ने भी पुलिस के हाथ बांधकर रख दिए हैं.. अब तक महामारी एक्ट की धारा 188 के विरुद्ध कार्यवाही नहीं हो पाई है.. इस वजह से लोग खुलेआम अपनी मनमर्जी से संक्रमण को बुलावा दे रहे हैं.. लॉकडाउन का फायदा उठाकर सामानों की तय कीमत से अधिक वसूली की जा रही है.. नगर निगम समेत जिला प्रशासन की टीम ने कार्रवाई तो दूर की बात शहर में भ्रमण करना तक बंद कर दिया है.. इतना ही नहीं पुलिस की गस्ती भी शहर के अंदर देखने को नहीं मिल रही है.. गांधी चौक से लेकर नेहरू चौक तक सिर्फ चौराहों पर पुलिस की ड्यूटी लॉकडाउन का एहसास दिलाती है.. इसके अलावा अंदर मोहल्लों और सड़कों पर तो खुलेआम लोग घूम रहे है.. इतना ही नहीं सामानों से लेकर नशे के समान तक चौक चौराहों में बैठकर लोग बेच रहे हैं.. बावजूद इसके कार्रवाई तो दूर की बात लॉकडाउन का पालन तक नहीं कराया जा रहा।
लॉकडाउन लगाकर नियमों का पालन न कराना और कालाबाजारियों को आधी शटर उठाकर पूरा सामान अधिक कीमत में बेचने पर भी कार्रवाई न करना कहीं न कहीं जिला प्रशासन की लापरवाही और आम आदमी की मजबूरियों को उजागर करता है.. लोग तो आप यहां तक कहने लगे हैं कि.. कोरोना हो तो हो बस यह लॉकडाउन मत हो.. क्योंकि जिनका काम बंद है.. वह महामारी और भुखमरी के खतरे से तो जूझ ही रहा है.. साथ ही साथ नियमों को ताक पर रखकर आधी शटर खोल अधिक दाम पर सामान बेचने वालों से भी जूझ रहा है।