नई दिल्ली । नोएडा में रेमडेसिविर की कालाबाजारी करने वाले युवक से बरामद 105 वायल कोर्ट के आदेश पर अब जरूरतमंदों को मिलेंगी। हालांकि, वितरण से पहले उनकी सत्यता की जांच ग्रेटर नोएडा स्थित जिम्स संस्थान करेगा। एडीसीपी रणविजय सिंह ने बताया कि सेक्टर 20 थाना क्षेत्र पुलिस ने मंगलवार को आरोपी रचित को रेमडेसिविर की 105 वायल के साथ गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने गुरुवार को न्यायालय में अर्जी लगाई गई थी कि यह इंजेक्शन जीवनरक्षक औषधि है, जिसका वितरण जरूरतमंदों के बीच कराया जाए। इस पर कोर्ट ने जिम्स को निर्देशित किया है कि वह इंजेक्शन की जांच करने के बाद इसका वितरण जरूरतमंदों के बीच करा दें, तब तक इन इंजेक्शनों को मानकों के अनुसार सुरक्षित वातावरण में रखा जाए। पुलिस ने कहा कि आरोपी के खिलाफ ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट, महामारी रोग अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
एडीसीपी रणविजय सिंह ने बताया कि जीवन रक्षक दवाओं की कालाबाजारी में शामिल रचित घई और उसके पूरे गिरोह पर एनएसए लगाया जाएगा। जांच में पता चला है कि इंजेक्शन चंडीगढ़ के पास पिंजौर से लाए गए थे, इन्हें उपलब्ध कराने वाले सप्लायर को भी शीघ्र गिरफ्तार किया जाएगा। इससे पांच वायल बांग्लादेश वाली भी मिली हैं, जिन्हें दोगुनी कीमत पर बेच रहे थे। इंडियन वायल 40 हजार तक में बेची जा रही थी। वहीं बांग्लादेश की वायल 80 हजार से एक लाख रुपये तक में बेच रहा था। आरोपी ने पुलिस को बताया था कि वह सोशल मीडिया के माध्यम से कोविड-19 से संक्रमित लोगों से संपर्क करता था तथा उन्हें रेमडेसिविर इंजेक्शन 15 से 40 हजार रुपये तक में बेचता था।