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छत्तीसगढ़ में सवा लाख एक्टिव केस

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रायपुर । छत्तीसगढ़ में कोरोना का कोहराम जारी है। गुरुवार रात तक प्रदेश में 55 हजार कोरोना टेस्ट हुए थे। वहीं 16750 नए मामले सामने आए। 15051 मरीजों को इलाज के बाद ठीक घोषित किया गया। इसके बावजूद प्रदेश में सक्रिय मरीजों की संख्या 1,21,555 रह गई है। देश के चार ही राज्य ऐसे हैं जिनके यहां सक्रिय मरीजों की संख्या छत्तीसगढ़ से अधिक है। इस मामले में महाराष्ट्र पहले नंबर पर है। वहां 6,99,858 एक्टिव केस हैं। दूसरे स्थान पर उत्तर प्रदेश है जहां एक्टिव केस की संख्या 2,59,810 है। कर्नाटक तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। यहां अभी 1,96,236 केस एक्टिव हैं। वहीं 1,56,224 एक्टिव केसेस के साथ केरल चौथे स्थान पर है। छत्तीसगढ़ देश का तीसरा प्रदेश है जहां एक दिन में सर्वाधिक मौतें दर्ज हुई हैं।

एक दिन में 197 लोगों की मौतें हुईं

छत्तीसगढ़ में गुरुवार रात 197 मरीजों की मौतों के आंकड़े आए। इनमें से 120 मरीजों में दूसरी किसी गंभीर बीमारी नहीं थी। यानी उनकी मौत केवल कोरोना की वजह से हुई। दूसरे राज्यों से तुलना करें तो महाराष्ट्र में सबसे अधिक 568 मौतें दर्ज हुईं। उसके बाद दिल्ली में 306 मौतें हुईं हैं। छत्तीसगढ़ से अधिक बीमारों के बावजूद उत्तर प्रदेश में 195, कर्नाटक में 123 और केरल में केवल 28 लोगों की जान गई है।

छत्तीसगढ़ में हर रोज औसतन 112 मौतें

छत्तीसगढ़ में कोरोना का पहला मामला 18 मार्च 2020 को सामने आया था। कोरोना से पहली मौत 29 मई 2020 को दर्ज हुई। तब से 31 मार्च 2021 के बीच 4131 मौतें हुई हैं। जबकि दूसरी लहर में केवल अप्रैल के इन 21 दिनों में 2263 से ज्यादा मौत हो चुकी है। प्रदेश में कोरोना से रोज औसतन 112 लोगों की मौत हो रही है।

संदिग्ध मरीजों के लिए इलाज का नया प्रोटोकॉल जारी

छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना के संदिग्ध मरीजों के लिए इलाज का नया प्रोटोकॉल जारी किया है। जांच के लिए नमूना देने के बाद और रिपोर्ट आने से पहले लक्षण वाले संदिग्ध मरीजों को पांच दवाएं लेने की सलाह दी जा रही है। इसमें आइवरमेकटिन, डाक्सीसाइक्लिन, पैरासिटामॉल, विटामिन-सी और जिंक की गोलियां शामिल हैं।

निजी अस्पतालों को चेतावनी

रायपुर की सीएमएचओ डॉक्टर मीरा बघेल ने निजी अस्पताल संचालकों को रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर चेतावनी दी है। उन्होंने उन शिकायतों का उल्लेख किया है जिसमें निजी अस्पतालों के डॉक्टर रेमडेसिविर इंजेक्शन को पर्ची पर लिखकर बाहर से मंगाने भेज रहे हैं। जबकि दवा अस्पतालों को ही भेजी जा रही है। उन्होंने कहा है कि अगर अस्पताल की शिकायत मिली तो उनकी मान्यता निरस्त कर दी जाएगी।

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