भोपाल । राजधानी के सरकारी अस्पताल हमीदिया में कोरोना के मरीजों और उनके परिजनों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है। कोरोना वार्ड में भर्ती मरीजों के हालचाल बताने वाले वहां कोई नहीं है। यहां भर्ती मरीजों के हाल जानने के लिए फोन करने पर यही कहा जाता है कि सब ठीक है। दूसरे दिन मौत की खबर आ जाती है। गाडरवाड़ा के रहने वाले संजय ढिमोले के परिजन ने बताया कि एक दिन पहले तक बताया गया कि संजय की हालत ठीक है। अगले दिन सुबह पांच बजे संजय की मौत की सूचना आ गई। परिजन ने बताया कि संजय के शव के लिए सुबह से भटक रहे हैं। हड़ताल के चलते शव नहीं मिल रहा है। यहां सोनू कुशवाह नामक युवती ने रोते हुए कहा कि मरीजों को कुछ खाने के लिए नहीं भिजवा पाते। मरीज का हाल बताने वाला भी कोई नहीं है। मंगलवार सुबह 11 बजे के करीब एक बुजुर्ग लावारिश को 108 एंबुलेंस परिसर में छोड़कर चली गई। बुजुर्ग के तन पर कपड़े तक नहीं थे, लेकिन हमीदिया अस्पताल प्रबंधन की तरफ से बुजुर्ग की किसी ने फिक्र नहीं की। दूसरे लोगों ने उसे पानी पिलाया और सड़क से किनारे लिटाया। कोरोना संकट के दौर में एक ओर त्राहि-त्राहि मची है तो दूसरी ओर कर्मचारी हडताल पर आमादा है। यही वजह है कि कोरोना वार्डों में गंभीर मरीजों की देखरेख वार्डबॉय के भरोसे है। ऐसे विकट हालात में भी राजधानी के हमीदिया अस्पताल में वार्डबॉय, सुरक्षाकर्मी और अन्य कर्मचारियों ने मंगलवार सुबह आठ बजे से हड़ताल कर दी। अत्यावश्यक सेवा प्रबंधन अधिनियम (एस्मा) लागू होने के बाद कर्मचारियों ने हफ्ते में दूसरी बार हड़ताल की। हमीदिया अस्पताल प्रबंधन और सरकार ने न तो इन कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई इस एक्ट के तहत की और न ही आउटसोर्स कंपनी के खिलाफ। इनकी हड़ताल की वजह से कोविड वार्ड में मरीजों गंभीर मरीजों को सक्शन कराने (श्वास नली को साफ करना), मरीजों के कपड़े बदलने से लेकर खाने खिलाने तक का काम प्रभावित हुआ। इतना ही नहीं, कोरोना मरीजों की मौत के बाद शव भी तुरंत वार्ड से बाहर नहीं लाए जा सके। कोरोना ड्यूटी के चलते वेतन 7 हजार से बढ़ाकर 20 हजार रुपये करने, सात दिन तक ड्यूटी के बाद क्वारंटाइन सुविधा देने की मांग आउटसोर्स कर्मचारी कर रहे हैं। उन्होंने बीते शुक्रवार को भी इन्हीं मांगों को लेकर हड़ताल की थी। कंपनी व जिला प्रशासन के अधिकारियों की तरफ से तीन दिन के भीतर मांगों पर निर्णय करने का भरोसा दिलाया गया था। सोमवार तक कोई पहल नहीं हुई तो मंगलवार सुबह सभी आउटसोर्स कर्मचारी हड़ताल पर चले गए। अस्पताल प्रबंधन और आउटसोर्स कंपनी के अधिकारियों द्वारा जल्द ही निर्णय लिए जाने के आश्वासन के बाद एक बजे करीब हड़ताल खत्म कर दी थी।