भोपाल । राजधानी भोपाल के हमीदिया, जेपी, एम्स अस्पताल को मुफ्त में रेमडेसिविर इंजेक्शन सरकार उपलब्ध करा रही है, लेकिन शिकायत मिल रही है कि मरीजों के परिजनों से इसके पैसे लिए जा रहे हैं। यह मामला सामने आने के बाद कोविड केयर अस्पतालों की जांच के लिए जिला प्रशासन ने राजस्व अधिकारियों को जिम्मा दिया है। जांच का नोडल अधिकारी संबंधित क्षेत्र के एसडीएम को बनाया गया है। यह जांच दल किसी भी अस्पताल में जाकर रिकॉर्ड मांग सकता है और मरीजों से या उनके परिजनों से बातचीत कर उनसे पूछ सकता है कि रेमडेसिविर इंजेक्शन के रुपये लिए जा रहे हैं या नहीं। अगर जांच में सामने आएगा कि अस्पताल प्रबंधन पैसे लेकर किसी भी मरीज को रेमडेसिविर इंजेक्शन लगा रहा है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि इस वक्त ऑक्सीजन की किस अस्पताल में कितनी मांग है और वहां कितनी आपूर्ति की जा रही है, इसकी भी जांच की जा रही है। अस्पतालों में ऑक्सीजन की जरूरत, खपत और बिस्तरों की संख्या कितनी है। मरीजों के इलाज की क्या व्यवस्था है। जांच और टेस्ट संबंधी विषयों पर भी अफसरों द्वारा निरीक्षण किया जा रहा है। मालूम हो कि राजधानी भोपाल में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के साथ अस्पतालों में भर्ती कोरोना मरीजों के लिए दिक्कतें भी बढ़ती जा रही हैं। आलम यह है कि गंभीर कोरोना मरीजों को इलाज के लिए मरीजों को न ऑक्सीजन मिल पा रही है और न ही रेमडेसिविर इंजेक्शन। निजी अस्पतालों में भी बमुश्किलसे मरीजों को भर्ती किया जा रहा है। इसके लिए मनमानी राशि भी वसूली जा रही है।