भोपाल । क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने दावा किया है कि हमीदिया अस्पताल के दवा स्टोर से चोरी गए 863 इंजेक्शन में करीब 70 फीसदी इंजेक्शन वहीं पर मिल गए। मामले की जांच से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि इंजेक्शन की बड़े स्तर पर इस दवा स्टोर में धांधली चल रही थी। इस धांधली को छिपाने के लिए स्टोर रूम के 15 कर्मचारियों ने चोरी का नाटक किया। इसका पता लगाने के लिए हमारी टीम जांच में लगी है। एएसपी क्राइम ब्रांच गोपाल सिंह ने बताया कि ड्रग स्टोर के 15 कर्मचारियों के आसपास रेमेडेसिविर इंजेक्शन को खुद-बुर्द करने की कहानी घूम रही है। इन कर्मचारियों से पूछताछ की जा रही है। इन पर इंजेक्शन धांधली का शक है। अभी इन सब से पूछताछ जारी है कि किन लोगों को इंजेक्शन दिए हैं। जो नाम सामने आएंगे, उनसे भी पूछताछ होगी। इधर, पुलिस सूत्रों की मानें तो यह पूरा गोरखधंधा बेहद नियोजित ढंग से हमीदिया अस्पताल के ड्रग सेंटर से चल रहा था। ये लोग अस्पताल से इंजेक्शन ले जाकर उसके घर व उसके बताये ठिकाने तक पहुंचा देते थे, जिसमें उनको कमीशन भी मिलता था। इन लोगों के नाम भी इंटरनेट मीडिया पर भी वायरल हुए। क्राइम ब्रांच के एक अफसर का कहना है कि हमीदिया अस्पताल के तत्कालीन अधीक्षक डॉ आइडी चौरसिया को पूछताछ के लिए बुलाया गया था। उन्होंने अधिकांश सवालों के जवाब नहीं दिए। कई सवाल के बारे में जानकारी न होने की बात कही। उनका कहना था कि इंजेक्शन संबंधित अधिकांश जानकारी स्टोर इंचार्ज के पास थी।सूत्रों का कहना है कि इंजेक्शन में रसूखदारों के नाम सामने आने के बाद पुलिस पर काफी दबाव आ गया है। लोगों से पूछताछ नहीं करने के लिए भी काफी फोन आ रहे हैं। इन हालात में जल्द से जल्द इस मामले को खत्म करने की तैयारी चल रही है।हमीदिया अस्पताल की उस नर्स और फार्मासिस्ट को क्राइम ब्रांच ने आमने-सामने बिठाकर उनसे पूछताछ की। नर्स ने स्वीकार किया कि फार्मासिस्ट के कहने पर ही उसने दो मृत व्यक्ति के तीन तीन इंजेक्शन मिलाकर छह इंजेक्शन उनके घर एक कर्मचारी के द्वारा भिजवाए थे।बता दें कि हमीदिया अस्पताल से शुक्रवार-शनिवार की दरमियानी रात रेमडेसिविर के 863 इंजेक्शन की चोरी हुए थे। हमीदिया अस्पताल में ए, बी, सी और डी ब्लॉक को कोविड सेंटर बनाया गया है। पुलिस की जांच में सामने आया है कि डी ब्लॉक को 11 अप्रैल से 16 अप्रैल के बीच रेमडेसिविर इंजेक्शन स्टोर से काफी मात्रा में जा रहे थे। हालात यह थे कि स्टोर से इंजेक्शन के जाने-आने का कोई रिकार्ड नहीं लिखा जा रहा था। अंदाजा लगा सकते हैं कि साफ-सफाई करने वाले कर्मचारी तक के पास इंजेक्शन था। इसी दौरान रेमडेसिविर इंजेक्शन की किल्लत होने लगी। इस बंदरबांट में शामिल लोग घबरा गए और सभी ने मिलकर यह चोरी की झूठी कहानी रचकर पुलिस में एफआइआर करा दी। पुलिस का दावा है कि यह झूठी एफआइआर है। इंजेक्शनों की बंदरबांट हुई है।