भोपाल । कोरोना के गंभीर मरीजों को अस्पतालों में ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं हो पा रही। अस्पतालों के पास 10 से 12 घंटे के लिए ही ऑक्सीजन उपलब्ध रहती है। ऐसे में ऑक्सीजन की जरूरत वाले मरीजों को निजी अस्पताल बिस्तर खाली होने पर भी भर्ती नहीं कर रहे हैं। मंगलवार को अनेक छोटे अस्पतालों ने मरीजों को दूसरे अस्पतालों में शिफ्ट किया। हालांकि, प्रशासन के डर से निजी अस्पताल संचालक सामने आने को तैयार नहीं हैं। साकेत नगर स्थित एक निजी अस्पताल के संचालक ने बताया दो दिन में दो गंभीर मरीजों को दूसरी जगह शिफ्ट किया है। हालांकि, दोनों को कोरोना नहीं था। उधर, ऑक्सीजन की कमी से सोमवर को जिन चार मरीजों को एविसिना अस्पताल से रेफर किया गया था, उनमें 58 साल की नसरीन मिर्जा की सोमवार-मंगलवार की दरमियानी रात एलबीएस अस्पताल में मौत हो गई है। बता दें कि शहर में करीब 400 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। हर दिन 50 टन ऑक्सीजन की जरूरत मरीजों के लिए है। छोटे अस्पताल संचालकों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि सरकार की तरफ गंभीर मरीजों की संख्या के लिहाज से मेडिकल ऑक्सीजन और रेमडेसिविर इंजेक्शन का वितरण नहीं किया जा रहा है। जहां सामान्य मरीज ज्यादा भर्ती हैं, वहां भी उतनी ही ऑक्सीजन और इंजेक्शन दिए जा रहे हैं और जहां ज्यादा गंभीर मरीज भर्ती हैं, उन्हें भी उतना ही। शहर में रेमडेसिविर का संकट भी गहराया हुआ है। हालत यह है कि जरूरत से करीब 25 फीसद मरीजों को रेमेडेसिविर इंजेक्शन लग पा रहा है। इसकी वजह इंजेक्शन की किल्लत है। सबसे ज्यादा दिक्कत नए मरीजों को हो रही है। जिन्हें पहले से रेमेडेसिविर लगना शुरू हो गया है, पहले उनका कोर्स पूरा किया जा रहा है। नए मरीजों में सिर्फ उन्हीं को इंजेक्शन लग पा रहा है, जो गंभीर हालत में हैं। पालीवाल अस्पताल के संचालक डॉ. जेपी पालीवाल ने कहा कि पहले से स्थिति बेहतर हुई है। प्रशासन ने अच्छा काम किया है, लेकिन जरूरत के एक चौथाई मरीजों को ही इंजेक्शन मिल रहा है। उधर, जिला प्रशासन की तरफ से मंगलवार को भी विभिन्न अस्पतालों को करीब 700 इंजेक्शन दिए गए। इस बारे में अनंतश्री अस्पताल के डाक्टर नवीन बत्रा का कहना है कि मुझे 120 रेमेडेसिविर इंजेक्शन की जरूरत थी, जबकि मंगलवार को सिर्फ छह मिल पाए हैं। 10 और इंजेक्शन रात में मिलने वाले हैं। जैसी उपलब्धता है उसके अनुसार मरीजों की स्थिति देखकर इंजेक्शन लगा रहे हैं।