भोपाल । सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में जंगल के राजा के शिकार पर ही खतरा मंडरा रहा है। एसटीआर क्षेत्र में सोनकुत्तों की संख्या में इजाफा हो गया है। जंगल के सबसे सफल शिकारियों में से एक जंगली कुत्ता को माना जाता है। बाघ के जबड़े से उसका शिकार खींच लाने और अपने शिकार को दौड़ाकर मारने में ये जंगलीकुत्ते सक्षम होते हैं। इनकी प्रवृत्ति होती हे कि दूसरे के शिकार में जरूर झपट्टा मारते हैं। टाइगर रिजर्व में जंगलीकुत्तों की बढ़ती संख्या प्राकृति के लिहाज से अच्छा माना जा रहा है। टाइगर रिजर्व के संचालक एल कृष्णमूर्ति के मुताबिक सोनकुत्ते चीतल, सांभर, हिरण का शिकार ज्यादा करते हैं।
झुंड में होने पर बेहद खतरनाक
झुंड में रहने के कारण जंगलीकुत्ते बेहद खतरनाक हो जाते हैं। जानकारों के मुताबिक किसी भी बड़े जानवर का शिकार ये जंगलीकुत्ते झुंड में रहने के कारण कर लेते हैं। कई बार बाघ का शिकार खींचते समय उस पर भी हमला करने से पीछे नहीं हटते हैं।
संक्रमण का मंडरा रहा खतरा
जंगल इलाके में जंगलीकुत्तों के बढ़ती संख्या के चलते टाइगर रिजर्व प्रबंधन सतर्क है। दरअसल कैनाइन डिस्टेंपर के संक्रमण का खतरा बढ़ गया हैं। कुत्तों में यह संक्रमण तेजी से फैलता है। क्षेत्रसंचालक कृष्णमूर्ति ने बताया कि कैनाइनल डिस्टेंपर के संक्रमण के खतरे को रोकने के लिए बफर जोन में नजर रखी जा रही है। कैनाइनल डिस्टेंपर से जंगलीकुत्तों में छींक, खांसी, आंखों से पदार्थ निकलना, बुखार, सक्रिय ना रहना, उल्टी दस्त भी हो सकता है।
पर्यटकों को दे रहे जानकारी
एसटीआर क्षेत्र में जंगल सफारी करने आने वाले पर्यटकों के जंगलीकुत्तों के बारे में जनकारी दी जा रही है। यह पहला मौका है जब इतनी अधिक संख्या में एक साथ सोनकुत्ते नजर आए हैं। सोनकुत्तों को सीटी बजाने वाले शिकारी, धोले या जंगली कुत्ते भी कहा जाता है।
टाइगर रिजर्व में 52 बाघों का कुनबा
टाइगर रिजर्व में वर्तमान में 52 बाघ मौजूद हैं जो कि चूरना, मढ़ई, बोरी, पगरा, नीमघान सहित छिंदवाड़ा, बैतूल बेल्ट क्षेत्र में हैं। बाघों के संरक्षण के लिए सतपुड़ा टाइगर रिजर्व प्रबंधन प्रयास कर रहा है। वनकर्मी बफर जोन सहित अन्य इलाकों में गश्त करने में जुटे हुए हैं।
इनका कहना है
जंगलीकुत्तों की संख्या एसटीआर क्षेत्र में काफी बढ़ी है। ये बेहद खतरनाक शिकारी होते हैं। इनकी बढ़ती संख्या के चलते कैनाइन डिस्टेंपर नामक बीमारी फैलने का भी डर है। बफरजोन में निगरानी बढ़ा दी गई है।
– एल कृष्णमूर्ति, क्षेत्र संचालक, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व