भोपाल । राजधानी सहित प्रदेशभर में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी को लेकर कई कारण सामने आ रहे हैं। इनमें एक कारण यह भी है कि मार्च में ऐसे कई लोगों ने मेडिकल स्टोर से ये इंजेक्शन खरीद कर रख लिए, जिन्हें इसकी जरूरत ही नहीं थी।
दरअसल, कोरोना संक्रमण के कारण इस इंजेक्शन को रामबाण मान लिया गया है और मामूली संक्रमण वाला मरीज भी इसे लगवा रहा है, जबकि यह एक एंटी वाइरल इंजेक्शन है जो कोरोना मरीजों के लिए कारगर साबित हो रहा है। चिकित्सकों ने स्पष्ट किया कि 20 प्रतिशत से ज्यादा लंग्स खराब होने पर इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। इस इंजेक्शन को हर कोई लगा रहा है, जबकि इसे लगाने के बाद एलएफटी यानि लंग्स फंक्शन टेस्ट भी अनिवार्य होता है।
आक्सीजन सेचुरेशन 94 प्रतिशत से कम होने पर ही रेमडेसिविर की जरुरत
कोविड संक्रमित हर मरीज को रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाने की जरुरत नहीं होती है। बिना जरुरत के किसी को रेमडेसिविर इंजेक्शन दिया जाए तो उसके लीवर पर असर पड़ सकता है। कोविड संक्रमित मरीज जिसके चेस्ट में 20 प्रतिशत या उससे ज्यादा संक्रमण हो या उसे डायबिटिज, हाइपरटेंशन हो, ऐसे मरीज को ही रेमडेसिविर इंजेक्शन दिया जाना चाहिए। इस इंजेक्शन को मरीज को लगाने के पहले लीवर फंक्शन टेस्ट किया जाना चाहिए। कोई भी व्यक्ति अपने मनमर्जी या घर पर यह इंजेक्शन न ले। वर्तमान में इस इंजेक्शन की जो कमी आई है, उसकी वजह यह है कि लोगों ने जरुरत न होने पर भी अपने घर में इस इंजेक्शन का स्टाक यह सोचकर कर लिया है कि न जाने कब उन्हें या परिजनों को इसकी जरुरत पड़ जाए। ऐसे में शासन को यह इंजेक्शन दवा दुकानों को देने के बजाए सीधे अस्पतालों को ही देना चाहिए। डीजीसीआई ने रेमडेसीवीर इंजेक्शन के इमरजेंसी में ही उपयोग करने के निर्देश दिए है। इस वजह से इसे आउटडोर या घर में उपयोग नहीं करना चाहिए।
इंजेक्शन की आवश्यकता व उपयोग पर नियंत्रण की है जरुरत
एमजीएम मेडिकल कालेज के मेडिसीन विभाग के एचओडी डा. वीपी पांडे ने बताया कि सभी डाक्टरों को इस बात का ध्यान रखना है कि यदि कोविड संक्रमित मरीज का आक्सीजन सेचुरेशन 94 प्रतिशत से कम हो और उसके फेफड़ों में संक्रमण 25 प्रतिशत से अधिक हो तो ही उसे रेमडेसीवीर इंजेक्शन दिया जाना चाहिए। वर्तमान में रेमडेसीविर की अनावश्यक व उपयोग पर नियंत्रण करने की जरुरत है। इस इंजेक्शन को चिकित्सकों की सलाह से ही लगाया जाना चाहिए।
इन बातों का रखे विशेष ध्यान
– बुखार आने पर तुरंत डाक्टर को दिखाए और घर में आइसोलेट हो जाए।
– बुखार आने के तीसरे से पांचवे दिन कोविड जांच हो जाना चाहिए। पहले दिन बुखार पर कोविड पाजिटिव आने की संभावना कम होती है।
– आरटीपीसीआर जांच 80 मामलों में पाजिटिव व 20 फीसदी मामलों में बीमारी होने के बाद भी तकनीकी कारण से निगेटिव आती है। इसका मतलब यह नहीं कि निगेटिव रिपोर्ट वाले एकदम ठीक है, उन्हें भी घर में पांच दिन आइसोलेट रहना चाहिए।
– घर में एक भी व्ययक्ति पाजिटिव आए तो सभी परिजनों को कम से के कम 6 दिन घर में रहना चाहिए।
– पाजिटिव रिपोर्ट को फोन पर डाक्टर से संपर्क करना चाहिए, डाक्टर बोले तो ही क्लिनिक आना चाहिए।
– पांचवे दिन के बाद बुखा न उतरे, आक्सीजन 94 प्रतिशत से कम आए तो ही डाक्टर की सलाह पर सिटी चेस्ट करना चाहिए। पहले दिन कभी सिटी स्कैन न करवाए।
-सभी मरीजों को भर्ती होने या रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरुरत नहीं होती।
– लगतार बुखार, श्वास में तकलीफ, आक्सीजन 94 प्रतिशत से कम होने, रक्त की जांचे गड़बड़ होने पर, सिटी चेस्ट में 25 प्रतिशत से अधिक बीमारी होने पर रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरुरत होती है।
– अस्पताल की ओपीडी में डे केयर सुविधा के तहत 2 से 3 घंटे के आब्जर्वेशन में ही लगवाएं।