इंदौर, 9 अप्रैल । जो लोग अभी भी कोरोना को हल्के में ले रहे हैं ऐसे लोग एक तरह से अपनी जान से ही खेल रहे हैं। अस्पतालों में आॅक्सीजन की कमी से लाखों रूपए खर्च करने के बाद भी सोने-चांदी के कारोबारी की जिंदगी नहीं बच पाई है। उम्र को लेकर जो लोग बेफ्रिक हैं उनके लिए भी ये घटना एक सबक है। वजह है कि जिसकी जान गई है वो महज 38 बरस का है।
कोरोना की दूसरी रफ्तार से इंदौर में मौतों का सिलसिला बढ़ता ही जा रहा है। संगम नगर के नितिन चैहान की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें दशहरा मैदान के सामने यूनिक हाॅस्पिटल में भर्ती कराया गया था। यहां पर उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ तो गुरूकृपा अस्पताल ले गए, लेकिन आॅक्सीजन का लेवल लगातार गिर रहा था और परेशानी कम नहीं हो रही थी, फेफड़ों में संक्रमण बढ़ चुका था। परिवारवालों को लगा कि यहां से खतरा हो सकता है, तो इंडेक्स मेडिकल काॅलेज में भर्ती करा दिया। यहां भी आॅक्सीजन की कमी रही। लगातार पल्स गिरने के कारण परिवार के लोग जोखिम उठाना नहीं चाहते थे। उन्होंने बाॅम्बे और सीएचएल अस्पताल में संपर्क किया तो पता चला कि बेड खाली नहीं है। नितिन को एंबुलेंस में सिनर्जी अस्पताल में ले जा रहे थे कि उसकी सांसे थम गई। रात में ही बाणगंगा मुक्तिधाम पर अंतिम संस्कार भी कर दिया। इलाज पर सात लाख रूपए खर्च करने के बावजूद भी नितिन की जान नहीं बच पाई। परिवार नाराज है उनका आरोप है कि अस्पतालों में आॅक्सीजन के इंतजाम नहीं होने के कारण नितिन चैहान की जान चली गई। जिन अस्पतालों में इलाज कराया, वहां पहले पैसा जमा करा लिया और बचा नहीं पाए।
परिवार के लोग इस घटना के बाद इंतजामों के खिलाफ है। उनका कहना है कि अस्पतालों पर किसी का भी नियंत्रण नहीं है।