बिलासपुर । तखतपुर क्षेत्र के किसान द्वारा पटवारी से प्रताडि़त होकर आत्महत्या करने की घटना से पूरे प्रदेश में भूपेश सरकार के कार्यप्रणाली की सच्चाई आखिर सामने आ ही गई। अधिवक्ता परिषद की वरिष्ठ सदस्य अन्नपूर्णा तिवारी ने कहा कि, तखतपुर क्षेत्र के राजाकांपा के किसान छोटूराम कैवर्त द्वारा विवश होकर आत्महत्या करना सरकार की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए बताया कि बिलासपुर जिले में पदस्थ राजस्व विभाग के आला अधिकारियों एवं कर्मचारियों के द्वारा सरकार की मिलीभगत एवं संरक्षण के चलते जमीनों के बंदरबांट की शिकायतें आम बात हो गई है बावजूद इस सरकार में राजस्व विभाग के एक भी अधिकारी/कर्मचारी पर कोई कार्यवाही नहीं की गई, जिसका परिणाम सामने आया कि, पटवारी द्वारा किसान से खुलेआम रिश्वत लेने के बावजूद गरीब किसान को लगातार घुमाते रहा आखरी में विवश होकर गरीब किसान ने आत्महत्या कर ली।
अन्नपूर्णा तिवारी ने कहा कि, न जाने और कितने किसानो के साथ साथ आम नागरिक भी राजस्व विभाग, तहसील कार्यालय, पटवारी, आरआई के चक्कर लगा लगाकर थक चुके है। लोगो के जमीनों एवं अन्य प्रकरणों के काम जानबुझकर लटकाए जा रहे है तथा खुले आम काम के एवज में पैसो की मांग की जा रही है। सरकार के नेता, मंत्री सबकी भूमिका संदिग्ध है।