धरमजयगढ़-जोहार छत्तीसगढ़।
छत्तीसगढ़ सरकार वर्षों से शासकीय भूमि पर बेजा कब्जाकर निवास करने वालों को शासकीय दर पर बेजा कब्जा भूमि का पट्टा वितरण कर रहे हैं। शासन के इस नियम से किसको बेजा कब्जा से बेदखल नहीं किया जाना है। कोई अगर बेजा कब्जा किया तो उनको उतनी शासकीय भूमि का शासकीय दर पर राशि राजस्व विभाग में जमा कर पट्टा ले सकता है। ये शासन का नियम है लेकिन शासन के इस महत्वपूर्ण योजना को धत्ता बताने हुए राजस्व विभाग द्वारा बेेजा कब्जाधारियों से मिली भगत कर गलत तरीके से कम बेजा कब्जा दिखाकर पट्टा दिया जा रहा है। जिससे शासन को लाखों करोड़ों का राजस्व क्षति हो रहा है। धरमजयगढ़ में लगभग 75 प्रतिशत शासकीय भूमि पर बेजा कब्जाकर लोग निवास कर रहे हैं। जिसमें सबसे अधिक शासकीय अधिकारी कर्मचारी बेजा कब्जाधारी है जिसके चलते शुरू से ही बेजा कब्जाधारियों पर स्थानीय प्रशासन कार्यवाही नहीं किये हैं क्योंकि कार्यवाही करने वालों ने ही बेजा कब्जा कर रखे हैं। और अब जब बेजा कब्जाधारियों को शासन द्वारा निर्धारित दर पर पट्टा वितरण किया जा रहा है तो इन बेजाधारियों का द्वारा राजस्व विभागीय से मिली भगत कर किये गये अधिक बेजा कब्जा को कम बता कर शासन को चूना लगा रहे हैं।
क्या शासकीय पट्ट मिलने के बाद बेजा कब्जा मुक्त होगा धरमजयगढ़?
आप लोगों को भ्रष्टाचार का एक नया नूमना बता रहे हैं ये बेजा कब्जाधारियों द्वारा 20-25 डिसमिल शासकीय भूमि पर कब्जा कर सिर्फ 5-6 डिसमिल का बेजा कब्जा होना बताकर भारी मात्रा में राजस्व क्षति शासन को पहुंचा रहे हैं। और इस विभाग के अधिकारी कर्मचारी आंख मूंदकर इस गलत काम को सही बना रहे हैं। राजस्व विभाग के अधिकारी कर्मचारियों को ऐसा क्या नहीं करना चाहिए की बेजा कब्जाधारियों को जितना जमीन का पट्टा मिला है उतना जमीन उनको देने के बाद बाकी बेजा कब्जा से बेदखल कर दिया जाये? अगर राजस्व विभाग ऐसा करते हैं तो शासन को करोड़ों रूपये का राजस्व लाभ मिलेगा।