कुमारी उमा यादव, जोहार छत्तीसगढ़
धरमजयगढ़। धरमजयगढ़ वन मंडल में तस्कर खुलकर वन संपदाओं को नुकसान पहुंचा रहा है और विभागीय अधिकारी-कर्मचारी हाथ पे हाथ धरे बैंठे हैं। धरमजयगढ़ क्षेत्र में सैकड़ों की संख्या में अवैध ईंट भट्ठों को संचालन हो रहा है और इस ईंट को जलाने के लिए अवैध कोयला का इस्तेमाल किया जा रहा है लेकिन वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी आज तक एक भी ईंट भट्ठों के संचालकों पर कार्यवाही नहीं किये हैं। जबकि इनके कर्मचारी रोज इन ईंट भट्ठों के पास से गुजर रहे हैं। अखिर क्या मजबूरी है कि वन विभाग अपने आंखों के सामने वन संपदाओं का नुकसान होते देख रहे हैं। धरमजयगढ़ वन मंडल के सभी परिक्षेत्र में खुलकर लकड़ी तस्कर ईमारती लकड़ी की तस्करी कर रहे हैं। लेकिन इन तस्करों पर वन विभाग द्वारा किसी भी प्रकार का कार्यवाही नहीं करते हैं। बताया जाता है कि बोरो वन परिक्षेत्र के जबगा गांव से हर दो-चार दिन में अवैध चिरान लकड़ी पिकअप वाहन में पार किया जा रहा है। लेकिन वन परिक्षेत्र अधिकारी व उनके स्टॉफ को अवैध लकड़ी तस्करों पर कार्यवाही करने को फुर्सत नहीं है। जबकि इसकी जानकारी पूरे क्षेत्रवासियों को है, तो क्या जानकारी सिर्फ वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी को नहीं है?
चित्र देखें कैसे ले जा रहे दिन दहाड़े अवैध ईमारती लकड़ी
धरमजयगढ़ वन परिक्षेत्र के अंतर्गत आने वाला डाहीडांड के ग्रामीण दिन दहाड़े बड़े-बड़े पेड़ की बली देकर लकड़ी को अपने साथ ले जा रहे हैं। जबकि डाहीडांड नगर के साथ ही मिला हुआ है और वन मंडल मुख्यालय से मात्र 4-5 किलोमीटर की दूरी पर है। मुख्यालय से इतने करीब होने के बाद भी वन तस्करों को वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों का जरा सा भी भय नहीं होना कई सवाल को जन्म दे रहा है। वन विभाग के अधिकारी कर्मचारियों पर ग्रामीणों ने आरोप लगाते रहते हैं कि तस्कर और विभागीय कर्मचारी की मिलीभगत रहता है जिसके कारण वन तस्कर खुलेआम दिन दहाड़े इस तरह के कार्यों को अंजाम देते हैं। वन मंडलाधिकारी को चाहिए की ऐसे मामलों पर स्वयं संज्ञान लेते हुए लापरवाही करने वाले कर्मचारियों पर कड़ी कार्यवाही करें ताकि वन संपदाओं को नुकसान पहुंचाने वाले तस्करों पर लगाम लग सकें।