अजय सुर्यवंशी
जोहार छत्तीसगढ़-बगीचा।
जशपुर में लापरवाह स्वास्थ्य सेवाओं की लापरवाहियां अक्सर सामने आती हैं। लेकिन इस बार जशपुर के लापरवाह स्वास्थ्य सेवाओं ने एक बुजुर्ग की जान ले ली। कोरोना संक्रमित होने की आशंका से पिकअप में लादकर लाये गये गरीब बेबस बुजुर्ग को अस्पताल में दाखिल नहीं किया गया और घण्टों इलाज के अभाव में बुजुर्ग ने दम तोड़ दिया। जशपुर के बगीचा विकासखंड के घोघर निवासी एक दिव्यांग बुजुर्ग कई दिनों से बीमार था। खांसी और सांस लेने में तकलीफ की वजह से कोरोना की आशंका पर बुजर्ग और उसके परिवार से ग्रामीणों ने नाता तोड़ दिया यहां तक कि जिस हैंडपम्प से उसके परिवार पानी लेते थे उस हैण्डपम्प से ग्रामीणों ने पानी लेना तक छोड़ दिया। ग्रामीण की तबियत बिगड़ते देख गांव के सरपंच सचिव ने पिकअप में लादकर बुजुर्ग को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र क़ुर्रोग भेज दिया पर वहां डॉक्टरों ने घण्टों इंतजार के बाद बिना इलाज किये उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाने की सलाह दी।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बगीचा पहुंचने के बाद पिकअप के चालक ने अस्पताल के स्टाफ से ग्रामीण के इलाज की बात कही तो स्टाफ ने छुट्टी होने का हवाला देते हुए 5 बजे के बाद डॉक्टरों के आने के बाद इलाज की बात कही। जिसके बाद पिकअप चालक और मृतक की पत्नी चार से पांच घण्टे अस्पताल से बाहर डॉक्टरों के आने का इंतजार करते रहे। शाम पांच बजे जब डॉक्टर पहुंचे तो पिकअप से बिना उतारे डॉक्टरों ने उसको देखा और पिकअप समेत अम्बिकापुर रेफ र कर दिया। पिकअप में इलाज होने की सूचना पर जब मीडिया की टीम मौके पर पहुंची तब डॉक्टरों ने मरीज को प्राथमिक उपचार के लिए अस्पताल के अंदर ले जाकर उसका इलाज शुरू किया। देर से इलाज शुरू होने की वजह से मरीज की तबियत बिगड़ गयी और कुछ ही देरी में उसने अस्पताल में ही दम तोड़ दिया। घटना के बाद हमने जब अस्पताल के बीएमओ से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कैमरे के सामने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। इस घटना के बाद जशपुर की बदहाल चिकित्सा व्यवस्था के साथ समाज के कू्रर चेहरे को भी बेनकाब किया है जिसने कोरोना की आशंका पर एक बुजुर्ग को मदद ना कर उसे मौत के मुंह में धकेल दिया। बहरहाल अब देखना होगा कि स्वास्थ्य विभाग दोषी अधिकारी और कर्मचारी के खिलाफ क्या कार्यवाही करती है।