किसी भी देश , राज्य और समाज की ताकत उसकी जनसंख्या से होती है दुनिया की आबादी बढ़ना बहुत चिंताजनक है तो आदिवासियों की आबादी घटना भी कम फिक्र की बात नहीं है
दुनिया में जनसंख्या वृद्धि पर लगातार अन्तर्राष्ट्रीय गोष्ठी होते आ रही है पर आदिवासियों की घटती जनसंख्या को लेकर न तो अन्तर्राष्ट्रीय गोष्ठी और न ही विचार – विमर्श होते रहे हैं, जोकि काफी दुःख की बात हैं।
संयुक्त राष्ट्र के आंकड़े बताते हैं कि आज दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में 37 करोड़ आदिवासी रह रहे हैं. भारत में भी लगभग 705 आदिवासी समूह हैं जिनकी कुल संख्या 2011 में 10 करोड़ से थोड़ा ज्यादा दर्ज की गई थी. चिंता की बात यह है कि इनमें कई ऐसे आदिवासी समूह हैं जो अब विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गए हैं. अंडमान में जारवा आदिवासी की जनसंख्या तो लगभग 400 के आंकड़े तक सिमटकर रह गई है.
अनुसूची राज्य झारखंड में 30 प्रकार का आदिवासी समूह हैं। उनकी कुल आबादी 7087068 (2001 जनगणना) है। झारखंड में आज़ादी के बाद से लगातार घटती गयी आदिवासी जनसंख्या :1941 -35.65%,1951-36.03% 1961-33.93 %, 1971-32.12 %, 1981-30.26 %, 1991-27.67 %, 2001-26.30%, 2011-26.21 प्रतिशत हैं, जो बेहद चिंताजनक हैं।
दूसरा अनुसूची राज्य छत्तीसगढ़ है जहाॅ एक बड़ी संख्या में आदिवासी आबादी रहती है पर यहाँ भी लगातार आदिवासियों की संख्या तेजी से घट रही हैं. 2011 की जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि करीब 30 फीसदी आदिवासी आबादी वाले इस राज्य की आबादी की वृद्धि दर तेजी से घटी है. 2001 की जनगणना में यह दर 19.30 फीसदी थी जो 2011 में घटकर 8.76 फीसदी रह गई। यहाँ लुप्त प्राय बिरहोर आदिवासियों की आबादी का आंकड़ा 401 तथा असुर आदिवासी में तो अब सिर्फ 305 लोग ही बचे हैं.।
तीसरा अनुसूची राज्य उड़ीसा की बात करें तो वहाॅ बोंडा आदिम आदिवासी अब केवल मात्र 6000 ही रह गए हैं. ये अन्य आदिवासी समूह से बिल्कुल भिन्न है इनकी संस्कृति प्राचीन काल से लेकर अबतक वैसे ही है इनकी संस्कृति में बहुत कम बदलाव हुए हैं। इनका बचे रहना आदिवासी इतिहास के लिए बेहद जरूरी हैं।
भारत का चौथा अनुसूची राज्य तेलंगाना में लगभग 31.78 लाख आदिवासी लोग हैं जो कुल जनसंख्या का लगभग 9% है।
पाँचवा अनुसूची राज्य मध्यप्रदेश है जहाँ आदिवासियों की जनसंख्या 153.16 लाख (जनगणना 2011 ) जो कि राज्य की कुल जनसंख्या का 21.10 प्रतिशत है, छठा अनुसूची राज्य गुजरात जहाँ गुजरात में करीब 15% आबादी आदिवासियों की है। साॅतवा अनुसूची राज्य राजस्थान है जहाॅ 13.47% आदिवासियों की संख्या है। आॅठवा अनुसूची राज्य हिमाचल प्रदेश है जहाँ आदिवासी करीब 9% हैं। नौवा अनुसूची राज्य महाराष्ट्र है जहाँ 9% आदिवासी लोग हैं। इन सभी अनुसूची राज्यों का अधिकतर हिस्सा ‘रेड-कोरिडोर या तो माइनिंग में आता हैं। जिस कारण से आदिवासियों की संख्या हर साल घटती जा रहीं हैं जोकि दस्तक है आदिवासी अध्याय के पूर्ण विराम का।