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अपनी जान पर खेलकर रोज कर रहे कोरोना से मुकाबला, महत्वपूर्ण इलाकों में बाकारुमा चेकपोस्ट

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गुरुचरण सिंह,-जोहार छत्तीसगढ़।

धरमजयगढ़ प्रवासी मजदूर जैसे तैसे अपने घरों तक पहुंचने हर कोशिश कर रहे हैं।ना तो खाने का ठिकाना औऱ ना ही रुकने की व्यवस्था ऐसे में महिलाओं और छोटे बच्चों के ऊपर जो परेशानियां टूट रही है उसे ये गरीब प्रवासी मजदूर सपने में भी नहीं सोचे थे हालांकि शासन प्रशासन इन मजदूरों की पुख्ता इंतजाम किए जाने की दावा करती हो लेकिन जमीनी हकीकत तो यह है कि देश मे इस महामारी के दौरान सबसे अधिक प्रवासी मजदूर ही प्रभावित हो रहे हैं।इसी कड़ी में आज रायगढ़ और जशपुर जिले के बॉर्डर बाकारुमा में एक प्रवासी मजदूरों का परिवार काम्प्लेक्स के परछी में रात गुजारे उन प्रवासियों ने बताया कि जशपुर जिले के बगीचा क्षेत्र के रहने वाले हैं औऱ रोजगार करने महाराष्ट्र गए थे वही लॉकडाउन के दौरान बस से रायगढ़ पहुचे फिर बाकारुमा आये लेकिन घर जाने की व्यवस्था नही होने के कारण रात भर पूरा परिवार बाकारुमा बेरियर के पास काम्प्लेक्स में रुके भोजन की व्यवस्था चेकपोस्ट पुलिस वालों ने की जो सराहनीय कार्य रहा।

प्रवासी मजदूरों को रखा खुले में कहीं कोरोना का खतरा तो नहीं?

बाकारुमा चेकपोस्ट पुलिस द्वारा मानवता के तौर पर इन प्रवासियों की हरसंभव मदद की जो काबिले तारीफ है।लेकिन इन प्रवासी मजदूरों को बाकारुमा चेकपोस्ट के सामने एक काम्प्लेक्स में रुकवाया गया है।जबकि धरमजयगढ़ विकासखंड के 25 कॉरेन्टाइन सेंटरों में बाकारुमा कॉरेन्टाइन सेंटर प्रमुख माना जाता है क्योंकि यही से दूसरे जिले और झारखंड, बिहार की ओर प्रवासियों की टोली गुजरती है।ऐसे में इन प्रवासी मजदूरों के परिवार को खुले में रखना कहा तक इलाके को सुरक्षित रखना माना जाय और वो भी तब जब देश मे सबसे ज्यादा संक्रमित मरीजो का आंकड़ा महाराष्ट्र से सामने आ रहा हो।ऐसे में यह कहना वाजिब होगा कि रोजाना बाकारुमा चेकपोस्ट से अदृश्य वायरस कोविड 19 का आना जाना लगा है।और सुरक्षा पर तैनात कोरोना फाइटर अपने साथ इलाके को भी सुरक्षित रखने की कोशिश में लगे हैं।

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