जोहार छत्तीसगढ़ रत्तू तेलम बीजापुर।
बीजापुर। जिले में तेन्दूपत्ता ठेकेदार व उनके कर्मचारी को धड़ल्ले से प्रवेश कराया जा रहा है। वैश्विक कोरोना महामारी से पूरा देश प्रदेश जूझ रहा है वहीं जिले के मजदूर अन्य राज्य में फंसे हुए हैं। शासन-प्रशासन उन्हें जिले के गृह ग्राम पहुंचाने में कोई दिलचस्पी नही दिखा रही है। जिले से पलायन किये मजदूर शासन प्रशासन के उदासीनता के चलते कई दिनों तक भूखे प्यासे पैदल चलकर जंगल के रास्ते से घर पहुंच रहे हैं। जिसके कारण आदेड़ गांव की एक नाबालिग जमलो मड़कामी का रास्ते में ही मृत्यु हुआ है। भूपेश सरकार राज्य की राजस्व के चलते आदिवासियों को सुरक्षा कवच के रूप इस्तेमाल करना चाहती है। अब पत्ता ठेकेदारों को दूसरे राज्य से बिना किसी जांच पड़ताल के मनमानी तरीक़े से प्रवेश दिया जा रहा है,जो उचित नहीं है।केवल राजस्थान कोटा में अध्ययन करने गये छात्रों को प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल जी लाने का काम किया ।बदले में नाम के लिए हल्ला भी किया।तेन्दूपत्ता ठेकेदार ज्यादातर बहार से आते हैं। साथ मे मेनेजर, चेकर तथा बोरा भर्ती करने वाले मजदूर भी बहार से ही ले आते हैं।ऐसे स्थिति में यहां के भोले बाले आदिवासी लाकडाउन, धारा-144 तथा सोशल डिस्टेंसिंग जैसे महत्वपूर्ण जानकारी को समझना मुश्किल होगा।यह सच्चाई है कि तेन्दूपत्ता आदिवासियों का एक बड़ा आर्थिक स्रोत है।ऐसा न हो की तेन्दूपत्ता खरीदी के चक्कर में कहीं आदिवासियों की जिन्दगी खतरे में ना पड़ जाय।राज्य सरकार को चाहिए कि वनविभाग के माध्यम से खरीदी प्रक्रिया को पूरा किया जा सके।जेसीसीजे जिला संगठन का मांग है कि सरकार तेन्दूपत्ता संग्रहण कार्य नही करवा सकती है तो संकट की घड़ी मे कमसे कम 4000/-(चार हजार मात्र) प्रति कार्ड साथ मे विगत वर्ष का बोनस दिया जाना चाहिए।जिससे आदिवासी भी गांव के घर मे रह कर कोरोना जैसे महामारी से संघर्ष कर सके।आज प्रेस नोट जारी कर जेसीसीजे जिला अध्यक्ष चन्द्रैया सकनी आरोप लगाया है।