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जिनके कंधों पर थी जवाबदारी उन्हें नहीं पता कहां है 200 से अधिक अस्थायी शिविर के लोग …

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जोहार छत्तीसगढ़, संवाददाता- संजय सारथी। बाकारुमा। कोरोना को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के बाद पूरे देश लॉक डाउन होने पर विभिन्न स्थानों पर जो मजदूर काम कर रहे थे वे खाना और अन्य दिक्कतों की वजह से पूरे देश के मजदूर एवं अन्य पैदल ही अपने घर निकल पड़े लेकिन इस महामारी से बचने और इसे और ज्यादा फैलने से रोकने इस पलायन करने वालों को अस्थाई शिविरों में रोका गया है जिससे इसके पीड़ित की पहचान कर उसका इलाज की सुविधा मुहैया कराते हुए इस बीमारी को जड़ से देश में खत्म किया जा सके ऐसे में रायगढ़ के जिला बॉर्डर पर भी करीब 250 लोगों को रखा गया था लेकिन वे प्रशासन की उदासीन रवैए से अचानक इसी बीच से गायब हो गए हैं। वहीं इस शिविर में अब मात्र चंद ही लोग बचे हैं ऐसे में प्रशासन अब इस घटना को दबाने में जुटा हुआ है।

    गौरतलब है कि कोरोना वायरस  के देश में दस्तक के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करते हुए 21 दिनों का लॉक डाउन करने का फैसला करते हुए लोगों को घर पर ही रहने की सलाह दी है जिससे इस बीमारी की से पीड़ित लोगों की पहचान हो साथ ही इसे फैलने से रोका जा सके,  ऐसे में अपना घर छोड़ अन्य स्थानों पर जाकर कार्य करने  वालों पर इस आदेश के बाद जहां उनका काम बंद हो गया वही पैसे और दैनिक दिनचर्या की वस्तुओं की कमी के चलते कोई साधन नहीं मिलने पर पैदल ही अपने गंतव्य को कूच करने निकल पड़े ऐसी स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार ने लोगों के लिए अस्थाई  तौर पर  रुकने एवं चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराते हुए पलायन करने वाले लोगों पर इस बीमारी का कोई संदिग्ध या इससे ग्रसित तो नहीं है पहचान करने हेतु  सतत निगरानी का निर्देश जारी किया गया है। इसके चलते रायगढ़ के आखिरी छोर पर स्थित धर्मजयगढ़ ब्लाक के अंतर्गत आने वाले ग्राम बाकारुमा के हायर सेकंडरी स्कूल में करीब 250 लोगों को अस्थाई आवास के तौर पर एक स्कूल में इन्हें आश्रय दिया गया लेकिन प्रशासन की लापरवाही के चलते यह रात में अंधेरे का फायदा उठाकर अचानक सभी लोग गायब हो गए इस स्थान पर महज 15 से 16 लोग ही बचे हैं ऐसे में रायगढ़ जिला प्रशासन की खुलकर लापरवाही सामने आई है। 

     *अव्यवस्था से थे परेशान*

 यहां रुके बचे लोगों के बताया कि प्रशासनिक अधिकारी उन्हें किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं दे रहे थे जिससे वे परेशान थे उनका कहना है कि 24 घंटे मात्र एक ही बार उन्हें भोजन दिए गया जिससे भूख और पीने की पानी की भी व्यवस्था नहीं होने से परेशान थे। 

    *आखिर कैसे और कहां गए*

 केंद्र और राज्य सरकार ने दो टूक शब्दों में कहा है कि पलायन कर रहे लोगों के लिए बनाएं अस्थाई ठिकानों पर उन्हें सभी सुविधा मुहैया कराते हुए उनके स्वास्थ्य का भी विशेष ध्यान रखा जाए ऐसे में जहां प्रशासन के सभी लोग इसमें स्वास्थ्य विभाग प्रशासनिक अधिकारी जिनके कंधों पर इनकी देखरेख की जवाबदारी थी। वहीं पुलिस प्रशासन जिनके  कंधों पर इनकी सुरक्षा की जवाबदारी थी जिनकी मौजूदगी में यह लोग कैसे और कहां गए यह सबसे बड़ा सवाल कि जिनकी सतत निगरानी की जा रही है। आखिर कहां गायब हो गए।

    
*प्रशासनिक तंत्र ही बना लोगों के लिए खतरा।*

पूरे देश में लोगों का घर पर रहने की सलाह दी गई है वही जो जहां है वहीं पर रहे यही कहा गया है जिससे करोना संक्रमित की पहचान हो सके और इसे फैलने से रोका जा सके ऐसे में यदि कोई व्यक्ति इस महामारी से ग्रसित होकर बाहर से आया होगा वह अन्य लोगों को भी इससे ग्रसित कर सकता है जिससे बचने की सलाह दी जा रही थी अब वहीं घटना सामने आ गई है और प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के चलते बढ़ गया है।

अब जिम्मेदार पर क्या होगी कार्रवाई

जिन लोगों को यहां रखा गया था अगर सरकार की गाइडलाइन की मानें तो यह सुरक्षा के बीच रखते हुए इनकी दैनिक दिनचर्या की पूर्ति करते हुए उनके स्वास्थ्य की भी निगरानी करनी थी लेकिन जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी स्वास्थ्य और पुलिस प्रशासन के अधिकारियों की सुरक्षा के बीच इनका गायब हो जाना इनके कार्यशैली पर बड़ा प्रश्नचिन्ह लगाता हैऐसे गैर जिम्मेदार रवैया अपनाने वाले अधिकारियों पर भूपेश सरकार को कड़ी कार्रवाई करते हुए यह संदेश देना चाहिए कि बचे हुए लॉक डाउन की अवधि में दुबारा ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो ।

चुप्पी साधे बैठे अधिकारी

इस घटना के बाद बड़ी प्रशासनिक लापरवाही उजागर होने के बाद अधिकारियों ने चुप्पी साध ली और मीडिया के सवालों से बचते नजर आ रहे है ऐसे में सवाल उठता है कि आम लोगों और शासकीय आदेशों के प्रति ये कितने सजग और गंभीर है या समझा जा सकता है।

इस मामले में क्या कहते है रायगढ़ अपर-कलेक्टर आर.ए. कुरुवंशी

लॉक डाउन के दौरान फसें को मजदूरों को रोके गए अस्थाई निवास में रहना है और उन्हें पलायान करने की कोई अनुमति नही है व सभी मजदूरों के खाने व रहने का ऊचित प्रबंध किया जा रहा है। उन्हें जहाँ है वही यथावत रहने के निर्देश दिए गए है।

होगी कारवाही

इस पूरे मामले की जानकारी श्रम सचिव एवं राज्य के नोडल अधिकारी सोनमणि ओरा को दूरभाष पर दी गयी तो उन्होंने इस पूरे मामले की जांच कर ऊचित कारवाही की बात कही है गौरतलब है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के नियंत्रण हेतु लॉक डाउन से प्रभावित संगठित एवं असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की विभिन्न समस्या छत्तीसगढ़ एवं अन्य राज्यो में फसे हुए स्थानीय एवं प्रवासी मजदूरों के रहने एवं भोजन व्यवस्था कर केंद्र सरकार एवं अन्य राज्य सरकारो से आवश्यक समन्वय करने हेतु उन्हें राज्य नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।

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