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मां अंबे के दरबार में जलेंगे आस्था के हजारों दीप … वातावरण को शुद्ध करने में कारगर साबित होते हैं दीप हवन

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धरमजयगढ़-जोहार छत्तीसगढ़। तहसील मुख्यालय से पश्चिम उत्तर दिशा में 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मां अंबे टिकरा मंदिर में प्रति वर्ष की तरह इस वर्ष भी आस्था के दीप प्रज्वलित होंगे। वेद पुराण एवं सनातन हिंदू धर्म में हवन दीप प्रज्वलन को वातावरण की शुद्धि के लिए प्रमुख माना गया है। इस वर्ष पूरे विश्व में फैले कोरोनावायरस की हाहाकार को देखते हुए और अधिक से अधिक संख्या में दीप प्रज्वलित करने हेतु सभी भक्तगण से आह्वान किया है। प्रतिवर्ष प्रत्येक नवरात्र में यहां हजारों दीप प्रज्वलित होते हैं लेकिन इस वर्ष नोवल कोरोनावायरस के हाहाकार को देखते हुए लोगों में भ्रांतियां हैं कि दीप प्रज्वलित होगा या नहीं? लोगों के इस भ्रांति को दूर करते हुए शासकीय मंदिर समिति के अंतरिम सचिव हरिचरण अग्रवाल ने बताया कि प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी दीप प्रज्वलित होंगे और अधिक से अधिक संख्या में लोगों को दीप प्रज्वलित करने के लिए पुनः आह्वान किया है। अंबे टिकरा मां काली की प्रताप इतनी ज्यादा है कि भक्तगण छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य प्रांत से भी आकर मनोकामना दीप प्रज्वलित करते हैं और अपनी मनवांछित फल पाते हैं। शक्तिपीठ के रूप में स्थापित हो चुकी मां अंबे की मंदिर कल कल करती मांड तट के मनोरम पहाड़ियों में विराजमान है। चैत्र नवरात्र में प्रत्येक वर्ष यहां भव्य मेला का आयोजन किया जाता रहा है। लेकिन इस वर्ष कोरोनावायरस को देखते हुए भीड़ भाड़ ना हो इसलिए यह मेला को स्थगित कर दिया गया है। मनोकामना दीप प्रज्वलित करने हेतु नगर के कई स्थानों पर कई प्रतिष्ठानों पर रसीद बुक उपलब्ध रहते थे। लेकिन कोरोनावायरस के वजह और लाक डाउन होने की वजह से 31 मार्च तक प्रतिष्ठान बंद होने के कारण रसीद प्राप्त करने में भक्तों को असुविधा हो रही है। अतः इस असुविधा को देखते हुए सभी से आग्रह किया गया कि समिति के सदस्यों से सीधे संपर्क कर रसीद प्राप्त कर सकते है।

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