अशोक, जोहार छत्तीसगढ़। लैलूंंगा। दुनिया को कोरोना वायरस ने हिला कर रख दिया है। तो वहीं लैलूंगा के सुश्रुत वन में लगभग डेढ़ से दो सौ महिलाओं को मितानिन प्रशिक्षण देने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। जहां एक ही स्थान पर सैकड़ों कि संख्या में महिलाएँ और छोटे-छोटे नवजात बच्चे भी सम्मिलित हैं। एक ही जगह पर इतने सारे लोग वह भी आवासीय प्रशिक्षण ले रहे हैं। जहां कभी भी कोरोना वायरस जैसे महामारी का संक्रमण होने का खतरा बना हुआ है। जबकि पूरे भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में कोरोना वायरस के प्रकोप से बचने के लिए लोग तरह – तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। और शासन – प्रशासन ने चारों तरफ स्कूल, कॉलेजों, और सार्वजनिक जगहों पर सतत निगरानी रख रही है। तथा ऐहतियातन के तौर पर लोगों से परस्पर दूरी बना कर रहने की हिदायत दी जार रही है। उसी कड़ी में छत्तीसगढ़ सरकार ने भी सभी तरह के उपाय कर रही है। विगत दिनों छत्तीसगढ़ सरकार ने सभी स्कूल, कॉलेज, सिनेमा घरों को बंद करने का आदेश जारी कर दिया है। तो ऐसे में लैलूंगा में संचालित हो रहे मितानिन प्रशिक्षण का होना आखिर कहां तक जायज है। यदि कुछ अनहोनी होती है, तो आखिर उसके लिए जिम्मेदार कौन होगा ? शासन या प्रशासन अब इसे रायगढ़ कलेक्टर और सी एम एच ओ ही सही ढंग से बता सकते हैं। जबकि किसी भी तरह के आंदोलन या धरना प्रदर्शनों सहित सार्वजनिक कार्यों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। बकायदा आदेश में उल्लेखित है, कि कोरोना वायरस के संक्रमण फैलने के मद्देनजर संभावनाओं को देखते हुए रायगढ़ जिले में धरना प्रदर्शन, रैली, सभाएं, जुलूस आदि को प्रतिबंधित कर दिया गया है। यदि किसी परिस्थिति में धरना प्रदर्शन, रैली, सभाएं, जुलूस आदि की आवश्यकता होगी तो कलेक्टर से अनुमति लेना अनिवार्य है। कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी अनुभाग, तहसील और विकास खण्ड़ स्तर में धरना प्रदर्शन, रैली सभाएं, जुलूस आदि की आवश्यकता होगी, तो अनुविभागीय दण्डाधिकारी को आवेदन पत्र प्रस्तुत करना होगा। जिस पर विचार कर कार्यक्रम करने का अनुमति देने का प्रावधान है। यदि लैलूंगा में चल रहे मितानिन प्रशिक्षण को समय रहते प्रतिबंध नही लगाया लगया गया तो निश्चित ही इसके लिए शासन – प्रशासन को जिम्मेदार माना जायेगा। जो जनहित में उचित होगा।