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मासूमों के बचपन पर स्वार्थ का षड्यंत्र …हटाई गई अधीक्षिका को वापस लाने बच्चियों को उतारा सड़क पर

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रेणु जायसवाल कोरबा

कोरबा-जोहार छत्तीसगढ़। विवादों में रहने वाले रामपुर स्थित 100 सीटर कन्या छात्रावास का मामला अभी भी शांत होने का नाम नहीं ले रहा है वहां पदस्थ अधीक्षिकाओं की शिकायत और शिकायत के बाद हटाकर दूसरे की पदस्थापना और फिर शिकायतों का दौर लगातार चल रहा है जिसके चलते वहां की पढ़ाई लिखाई तो प्रभावित हो रही है इसके साथ-साथ वहां की बच्चियां जो मासूम है उनकी मासूमियत का फायदा उठाकर अधीक्षिका और अधिकारी अपना स्वार्थ की रोटी सेक रहे हैं। 2 मार्च को कन्या सीटर बालिका छात्रावास की कक्षा छठवीं से 11वीं तक की लड़कियां दसवीं कक्षा को छोड़कर हॉस्टल से निकलकर सड़कों पर हमारी मांगे पूरी करो के नारे लगाते दौड़ती नजर आई और फिर सभी बच्चियां कलेक्ट्रेट परिसर के अंदर आने जाने वाले रास्ते पर जमीन पर बैठ गई और हाल ही में हॉस्टल की अधीक्षिका विमला भास्कर के ऊपर की गई कार्यवाही को अनुचित बताते हुए उसे पुनः हॉस्टल में लाने की मांग कर रही थी बच्चियों ने कलेक्टर के नाम डिप्टी कलेक्टर अजय उरांव को ज्ञापन भी सौंपा है लेकिन ज्ञापन सौंपने के बाद भी बच्चियां वापस नहीं लौटी और वहीं जमीन पर बैठकर छात्रावास से हटाई गई अधीक्षिका को तुरंत वापस हॉस्टल लाने कलेक्टर से मिलने ज़िद पर अड़ी रही मामले की स्थिति देख एक महिला शिक्षक प्रभारी बच्चियों को समझाने पहुंची लेकिन ना जाने मासूम बच्चियों के मन में किसने इतना जहर भरा की बच्चियों ने शिक्षिका को खरी-खोटी सुनाकर वापस लौटने पर मजबूर कर दिया इसके बाद रामपुर चौकी प्रभारी चंद्रवंशी अपने स्टाफ के साथ पहुंचे और उचित कार्यवाही का आश्वासन देकर समझाया तब बच्चियां हॉस्टल के लिए वापस हुई ।रहने को तो कन्या छात्रावास पर बच्चियों की सुरक्षा किसके हवाले
इतनी तादाद में छोटी से लेकर बड़ी बच्चियां जो कि लगभग 100 की संख्या में थी हॉस्टल से निकलकर कलेक्ट्रेट परिसर तक जा पहुंची उनके साथ मात्र महिला चपरासी थी लेकिन बच्चियों को इस तरह किस की परमिशन से आने को दिया गया क्या हॉस्टल में कोई सुरक्षा गार्ड या जिम्मेदार अधिकारी मौजूद नहीं था जो बच्चियां हॉस्टल से निकलकर कलेक्ट्रेट परिसर तक पहुंच गई कहीं ना कहीं कन्या छात्रावास की सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े कर रहे हैं तो वही पढ़ाई लिखाई खेलने कूदने की उम्र में बच्चों का इस तरह विरोध करना धरने पर बैठना आखिर यह कैसी शिक्षा है शिक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं आखिर कौन शिक्षक हैं जो पढ़ाई लिखाई छोड़ इनके मासूम बचपन को सवारने की बजाए मासूमियत का फायदा उठाकर अपने षड्यंत्र की रोटी सेक रहे हैं ऐसे लोगों पर भी कार्यवाही की जरूरत है। डिप्टी कलेक्टर अजय उरांव ने कहा करेंगे कार्रवाई डिप्टी कलेक्टर अजय उरांव ने कहा कि बच्चियां जो शिकायत लेकर आई थी उनका आवेदन ले लिया गया है और उन्हें समझा-बुझाकर वापस भेज दिया गया है जब की परीक्षाएं सिर पर हैं इसलिए उनको मन लगाकर पढ़ाई करने समझाइश दिया गया है रही बात उनकी शिकायत की तो जांच कर उचित कार्यवाही करेंगे वही बच्चियों को यहां तक लाने में अगर किसी सरकारी कर्मचारी का हाथ होगा तो उसके ऊपर भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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