धरमजयगढ़– जोहार छत्तीसगढ़ । छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद प्रदेश कई स्तर में विकास की है। लेकिन शिक्षा व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ। है। अलग राज्य बनते ही तीन वर्षों तक कांग्रेस की अजीत जोगी की सरकार थी जो खुद स्वयं आईएएस अधिकारी रह चुके। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनते ही हजारों शिक्षकों की भर्ती एवं सैकड़ों स्कूल खोले गए। लेकिन शिक्षा के स्तर में कोई सुधार नहीं हुआ। आज भी शासकीय स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति कम है। शिक्षक भी ज्यादातर स्कूलों से नदारत मिलते हैं। शासकीय स्कूलों में सेवा दे रहे ज्यादातर शिक्षक शहरों में निवास करते हैं। और अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाते है उनको लगता है कि निजी स्कूलों में शिक्षा का स्तर अच्छा है और सही भी है। आम तुलना करें तो निजी स्कूलों की भरमार है और हर कोईअपने बच्चे को निजी स्कूलों में पढ़ाना चाहते हैं। जिस दिन शासकीय अधिकारी -कर्मचारी के बच्चे सरकारी विद्यालयों में भर्ती लेंगे। शासकीय स्कूलों की शिक्षा स्तर में सुधार हो जायेगी। शासन को इस विषय को गंभीरता से लेते हुए कठोर कदम उठाना चाहिए। भाजपा सरकार ने शिक्षा के लिए अनेक उपाए एवं कई योजना लागू की लेकिन जमीनी स्तर उसका क्रियान्यवन नहीं दिखा। आज भी ग्रामीण क्षेत्र के शासकीय स्कूलों में सिर्फ मध्यान्ह भोजन के लिए छात्र-छात्रा जाते हैं। शासन द्वारा किसी भी कार्यों के लिए शिक्षकों को आदेशित कर दी जाती है। छत्तीसगढ़ में सरकार बदलने से शिक्षा व्यवस्था में सुधार होने की उम्मीद जगी थी। लेकिन एक वर्ष बीत जाने पर भी वही स्थिति बरकरार है।
निजी स्कूल के अधिकत्तर शिक्षक होते हैं अपात्र?
निजी स्कूल जहां मंहगी फीस होने के बाद भी दाखिला हेतु छात्राओं की भीड़ लग जाती है। निजी स्कूलों में ज्यादातर शिक्षक योग्य नहीं होते क्योंकि शासन द्वारा निर्धारित शिक्षक पात्रता उत्र्तीण नहीं होते हैं। शासकीय-अधिकारी-कर्मचारी ये जानते हुए कि निजी स्कूलों के शिक्षक पात्रता नहीं रखते हैं। फिर भी अपने बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला कराते हंै। शासकीय स्कूल के शिक्षक जो पात्रतापूर्ण किए होते हैं। लेकिन वे अपने से ज्यादा निजी स्कूलों पर भरोसा करते हंै जिस कारण आज शासकीय स्कूलों की शिक्षा स्थिति नगण्य होती नजर आ रही है।