कविराज, जोहार छत्तीसगढ़। चिरिमिरी। नगर निगम के जिम्मेदार अफसर 14वें वित्त आयोग में विकास कार्यों के लिए मिली रकम से करीब 6 करोड़ रुपए से बने नालों से केवल बरसाती पानी जो कच्चे नाले में बहता था केवल वही पानी बडे़ बडे़ बनाए जा रहे नालों से बहेगा जिससे भूजल में भी कमी आएगी वहीं किसी भी काॅलोनी वासी को उक्त बने नालों से लाभ नही हो रहा हैं। क्योकिं उनके घर का पानी जैसे बहता था उसी तरह ही बहेगा तथा कमीशन खोरी के चक्कर में जिम्मेदारों ने पहाड़ी नाले का ही कांक्रीट करण करा डाला। खास बात यह है ये नाले आबादी वाले एरिया से दूर हैं और यहां कभी नालों में उफान नहीं आता, इससे कभी कोई परेशानी भी नहीं हुई है। इसके बाद भी राशि खपाने के लिए बिना प्लानिंग के यह कार्य कराए जा रहे हैं। बता दें कि 14वें वित्त आयोग से वित्तीय वर्ष 2017-18 व 2018-19 के भेजे गए प्रस्ताव के आधार पर शहर में बड़े नाला निर्माण के लिए 5 करोड़ 97 लाख 82 हजार की मंजूरी मिली थी। इसमें 50 फीसदी से अधिक कार्य पूरे कर लिये गए हैं। 14वें वित्त से पंचवर्षीय में नगर निगम ने 53 कार्य योजनाएं बनाई हैं, जिसमें 16 का निर्माण पूरा हुआ है। छोटा और बड़ा बाजार के बीच नाले में वर्षों से पानी बहता आ रहा है। यहां सौ मीटर दूरी तक रहवासी बस्ती नहीं है, न ही अब तक नाला के उफान पर आने से जलभराव की स्थिति बनी है। इसके बावजूद नगर निगम ने यहां 22 लाख खर्च कर नाला कांक्रीट करण करवा दिया। जबकि इसी नाले पर बड़ा बाजार और छोटा बाजार को जोड़ने वाली पुलिया जर्जर हो चुकी है, लेकिन इसकी कार्ययोजना नहीं तैयार की है। इसी तरह छोटा बाजार, हल्दीबाड़ी में जगह-जगह पहाड़ी नालों के कांक्रीट करण का कार्य चल रहा है। जानकारों के अनुसार 14वें वित्त आयोग की राशि से बड़े नालों का निर्माण ऐसी जगहों पर किया जाता है। जहां जलभराव की स्थिति बनती हो या पानी की निकासी नहीं हो पाती हो, लेकिन पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण चिरमिरी में इस तरह की समस्या कहीं भी नहीं है। वाटर लेबल भी प्रभावित होगा
बता दें कि, पहाड़ी नालों का सीसी करण कराने से क्षेत्र के तराइयों पर बसें अंचलों में वाटर लेबल भी प्रभावित होगा। चिरमिरी के पहाड़ों से निकलने वाले तुर्रा, नाला-नालियों का पानी पहाड़ियों से बहते हुए ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचता है। कहां कितने बड़े नालों की मिली है मंजूरी
वेस्ट चिरमिरी रू वार्ड नंबर 2 में 24.48 लाख, वार्ड 4 में 8.41 लाख, वार्ड 5 में 61.21 लाख। कोरिया कॉलरी रू वार्ड 8 में 55.69 लाख और 23.93 लाख, वार्ड 8 में 11.63 लाख और 20.57 लाख। हल्दीबाड़ी रू वार्ड 12 में 20.94 लाख, वार्ड 16 में 30.37 लाख, वार्ड 15 हिरागीर दफाई में 44.06 लाख, वार्ड 16 में 49.36 लाख। छोटा बाजार रू वार्ड 20 में 9.89 लाख, वार्ड 20 में लाहिड़ी दफाई में 11.63 लाख, वार्ड 22 में 11.63 लाख, वार्ड 22 में 33.98 लाख रुपए। बड़ा बाजार रू वार्ड 29 में 28.08 लाख, वार्ड 29 से 21 के बीच 22.81 लाख रुपए। डोमनहिल रू वार्ड 37 में 14.26 लाख, डोमनहिल वार्ड 37 में 33.98 लाख रुपए । गोदरीपारा रू वार्ड 28 में 19.45 लाख, वार्ड 33 में 8.05 लाख, पुराना गोदरीपारा में वार्ड 34 में 19.45 लाख रुपए।
2015 से 2020 तक पंचवर्षीय में नगर निगम को अब तक करीब 18 करोड़ रुपए मिले हैं, लेकिन निगम चिरमिरी की ओर से कई फिजूल के कामों पर सरकारी राशि का दुरुपयोग किया जा रहा है। 14वें वित्त आयोग से नगर निगम चिरमिरी को मंगलवार को ही 3 करोड़ 53 लाख 50 हजार रुपए मिले हैं। इसकी मांग निगम सरकार ने की थी। बाक्स वित्त आयोग गठन राष्ट्रपति करते हैं बता दें कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 280 में वित्त आयोग की स्थापना की व्यवस्था की गई है। इसका गठन 5 वर्षों के लिए देश के राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है। अब तक 13वित्त आयोग गठित किए चुके हैं, वर्तमान में 14वें वित्त आयोग का कार्यकाल (2015-2020) चल रहा है। ऐसे में मार्च के पहले वित्त आयोग से एक और बड़ी राशि मंजूर होने की उम्मीद है। वित्त आयोग से मिली स्वीकृति वित्तीय वर्ष
कार्य 2015-16 – 0 2016-17 – 13 कार्य 2017-18 – 17 कार्य 2018-19 – 23 कार्य (आंकड़े नगर निगम कार्यालय से मिली जानकारी के आधार पर) फिर भी कर ली खरीदारी 14वें वित्त आयोग की राशि से खरीदे पैडल रिक्शा शोपीस बनकर रह गए मिशन क्लीन सिटी के तहत कचरा कलेक्शन के लिए 14वें वित्त आयोग से खरीदे गए 54 पैडल रिक्शा कबाड़ हो गए हैं। जगह-जगह एसएलआरएम सेंटरों और वार्ड में यह रिक्शा महज शो-पीस बने हैं। वार्डों का कचरा एकत्र करने के लिए टाटा टीपरों की मदद ली जा रही है। गौरतलब है कि पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण चिरमिरी की भौगोलिक स्थिति ऐसी नहीं है कि यहां पैडल रिक्शा का संचालन किया जा सके। यही कारण है कि आजाद नगर, बीटाईप पार्क, पोड़ी जीएम कॉॅम्प्लेक्स व निगम कार्यालय के पास यह रिक्शे कबाड़ हो रहे हैं।
युवा शोएब अख्तर(कांग्रेस)चिरिमिरी के द्वारा भी पूर्व की निगम सरकार के द्वारा क्षेत्र में बनाए गए बड़े बड़े नालों की उच्च स्तरीय जांच की मांग की हैं। बगैर रहवासियों की मांग पर बनाए गए नालों पर केवल उनके द्वारा आरोप लगाया है कि केवल जिम्मेदार अधिकारियों के द्वारा कमीशन के चक्कर में अपनी जेबं भरने और चहेते ठेकेदारों को इस तरह के निर्माण से लाभ पहुंचाने का भरसक प्रयास किया।