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डिजिटल तकनीक से आयेगी शिक्षा में गुणवत्ता…शिक्षा विभाग की पहल: शिक्षकों की कमी दूर करने तैयार किए जा रहे वीडियो लेक्चर: एनिमेशन के जरिए पाठ्यक्रम को बनाया जा रहा रोचक और ज्ञानवर्धक

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*लेख-सहायक संचालक द्वय श्री ललित चतुर्वेदी, श्री जी.एस. केशरवानी*

रायपुर। छत्तीसगढ़ में स्कूली शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए डिजिटल तकनीक का उपयोग किया जा रहा हैै। इस तकनीक का उपयोग के जरिए विद्यार्थियों के लिए स्तरीय सामग्री तैयार की जा रही है। राज्य के दूर-दराज के क्षेत्रों में विषय शिक्षकों की कमी की समस्या को हल करने के लिए वीडियो पाठ्यक्रम के जरिए पढ़ाई की व्यवस्था की जा रही है। हाल ही में एक पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में वीडियो काॅल एप्लीकेशन का उपयोग करने की पहल की गई है। स्कूलों में जिन विषयों के शिक्षक नहीं है, वहां विषय विशेषज्ञों के माध्यम से पढ़ाई शुरू की गई है। पांच मिनट के वीडियों और लाईव-लेक्चर के माध्यम से पढ़ाई के बाद आॅनलाईन होमवर्क भी दिया जाता है। पाॅयलेट प्रोजेक्ट के तौर पर कक्षा 9वीं से 12वीं तक के 12 शासकीय स्कूल सेल, कोमाखान, चांपा, बरना, नवापारा और खरोरा, सांकरा, बालोद, कोमाखान, मुंगेली, बेमेतरा में इसकी शुरूआत 10 फरवरी से हो चुकी है। इसमें सभी विषयों की ई-कक्षाएं उपलब्ध है। आने वाले समय में इसी योजना से करीब एक हजार स्कूलों को लाभांन्वित करने का लक्ष्य है। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा वीडियो लैक्चर तैयार करने के लिए राज्य शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद और एनआईसी नवा रायपुर में अध्ययन सामग्री तैयार करने के लिए स्टूडियो स्थापित किया गया है। विशेषज्ञ शिक्षकों को पहले एनिमेशन, सिमुलेशन और टीचर लर्निंग मटेरियल (टीएलएम) का उपयोग करके वीडियो व्याख्यान शूट करने के लिए आमंत्रित किया जाता है। इस वीडियो की समीक्षा विषय-विशेषज्ञों द्वारा की जाती है और यू-ट्यूब पर अपलोड की जाती है, ताकि कोई भी इसे देख सके और सीख सके। 
तैयार की गई पाठ्य सामग्री यू-ट्यूब चैनल डीइएल छत्तीसगढ़ में अपलोड की जाती है। आम तौर पर प्रत्येक अवधारणा वीडियो लम्बाई में 4-5 मिनट का है, जो एक अध्याय के रूप में एक साथ मिले हुए हैं। स्कूल द्वारा एक टेक फ्रेंडली स्कूल को ऑर्डिनेटर नियुक्त किया गया है, जिसे राज्य द्वारा प्रशिक्षित किया गया है। ताकि वह बेहतर तैयारी के लिए विद्यार्थियों की मदद हेतु उचित अनुशासन और प्रक्रिया का पालन कर सके। 
चरण 1 – स्कूल हर दिन एक विषय वीडियो अंग्रेजी, जी-विज्ञान, भौतिक विज्ञान आदि जो खेलते हैं, उन छात्रों की आवश्यकता का 12 बजे तक निर्भर करता है। 
चरण 2 – छात्र वीडियो काॅलिंग एप (जूम) का उपयोग करके दोपहर 12.30 बजे विषय-विशेषज्ञ से जुड़ते हैं। छात्र आॅनलाईन शिक्षक से अपना संदेह पूछते हैं और शिक्षक यह भी परखता है कि उन्होंने बेतरतीब ढंग से चूने गए छात्रों से मौखिक प्रश्न पूछकर क्या सीखा है। 
चरण 3 – छात्रों कोे होमवर्क दिया जाता है, जिसे उन्हें अगले दिन स्कूल समन्वयक के पास जमा करना होता है। स्कूल समन्वयक तब होमवर्क को स्कैन करता है और वाट्सअप के माध्यम से सभी छबियों को संबंधित ऑनलाईन विषय शिक्षक को भेजता है। 
चरण 4 – ऑनलाईन विषय शिक्षक इस पीडीएफ का प्रिंट लेता है और प्रत्येक जमा होमवर्क को ध्यान से देखता है। शिक्षक फिर सभी प्रस्तुत करने और स्कैन करने के लिए सुधार हेतु प्रतिक्रिया लिखता है और इसे समन्वयक को वापस भेजता है। बाद में समन्वयक द्वारा इसे छात्रों के साथ साझा किया जाता है। इस प्रकार व्यक्तिगत सीखने का चक्र पूरा होता है। यह सब केवल 2 दिनों के समय में होता है।

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