जोहार छत्तीसगढ़-लैलूंगा।
इन दिनों लैलूंगा के जनपद सदस्य क्षेत्र क्रमांक 8 सलखिया से बीडीसी पद के चुनाव रोचक होते जा रहे हैं। चुनावी जंग के दौरान प्रत्याशी, मतदाताओं से संपर्क करने के लिए घर-घर दस्तक दे रहे हैं। तो कहीं स्व सहायता समूह की महिलाओं एवं मतदाताओं के साथ बैठकों का दौर चल रहा है। ऐसे में क्षेत्र कि जनता प्रत्याशियों को नाप तौलने में लगी है। जनवरी महिने कि हल्की और मीठी-मीठी ठण्ड तथा गांव में आग तापते ग्रामीण प्रत्याशियों के गुण-दोष, खूबी और कार्य क्षमता का आंकलन कर रहे हैं। जिसमें से सबसे बड़ा नाम है गीता पैंकरा जो कि लैलूंगा क्षेत्र कि तेज तर्रार महिला कांग्रेसी नेता के रूप में जानी जाती हैं। जिसके कारण सत्तासीन कांग्रेस पार्टी ने गीता पैंकरा को ब्लॉक महिला कांग्रेस का अध्यक्ष बनाई है। और साथ ही साथ गीता पैंकरा के चुनाव जीतने पर जनपद अध्यक्ष बनाने कि भावी योजनाओं के साथ चुनाव मैदान में उतारा गया है। वहीं सलखिया बीडीसी क्षेत्र के पुस्तम पैंकरा कि दावेदारी भी मजबूत है। जो कि पूर्व में भी एक बार स्वयं जनपद सदस्य रहे हैं। और एक बार उनकी धर्म पत्नी जनपद सदस्य रही है। बड़े ही शांत स्वभाव के साथ जनता के बीच में लम्बे समय से काम करने का अनुभव है। इसलिए पुस्तम पैंकरा जीत पक्की हो सकती है। क्योंकि पिछले चुनाव में दूसरे स्थान में रहे हैं। तीसरे प्रत्याशी के रूप में शांता भगत राजनीति में नई हैं। लेकिन शांता भगत के साथ जो नाम जुड़ा है वह नाम लैलूंगा के लिए बहुत ही अहमियत रखता है। शांता भगत लैलूंगा के युवा नेता आंदोलनकारी रवि भगत की धर्म पत्नी है, क्षेत्र के दिग्गज नेता पनत राम भगत कि पुत्री हैं। इसलिए भी ये नाम अपने आप में काफ ी अहमियत रखता है। सलखिया क्षेत्र में त्रिकोणीय मुकाबला हो गया है। जिसमें अभी भी जीत किसकी होगी यह कोई नहीं कह सकता। इस बार जनता कुछ खास जनादेश दे सकती है। अगर इन संकेतों को देखें तो धीरे-धीरे पिक्चर साफ होता दिख रहा है। जनता इस चुनाव में युवाओं को अवसर दे सकती है। पूर्व जनपद सदस्य पुस्तम पैंकरा के प्रति जनता का विश्वास कम होते जा रहे हैं। इसका एक बड़ा कारण है कि घियारमुड़ा पंचायत में पुस्तम पैंकरा की बेटी रोजगार सहायक को पद पर कार्यरत है। जिसने गांव के लोगों के मजदूरी का सही भुगतान नहीं किया या घोटाले किये गये हैं, जिसके कारण मजदूरी की मांग के लिए गांव वालों ने कलेक्टर तक शिकायत किये थे। फि र भी आज तक घियारमुड़ा, रातखण्ड के मजदूरों को मजदूरी नहीं मिला है। जिसके कारण मजदूर वर्ग पुस्तम पैंकरा के खिलाफ मोर्च खोलकर रखे हैं। जो कभी पुस्तम को अपना नेता मानते थे वे आज हरहाल में उसको हराने के लिए कमर कस लिए हैं। वहीं दूसरी प्रत्याशी गीता पैंकरा के बाहरी प्रत्यशी होने के कारण जनता कोई खास रुचि नही ले रही है। क्योंकि इस चुनाव से पहले जो जनपद सदस्य रही शकुंतला भगत भी बाहरी थी, क्षेत्र कि जनता के बीच पांच साल में कभी भी कोई आना न जाना या जनसम्पर्क भी नहीं रहा इसलिए बाहरी प्रत्याशियों का मुद्दा गीता पैंकरा के लिए सिर का दर्द बनता जा रहा है। गीता पैंकरा के राजनीतिक विरोधी जनता को ये कहते फिर रहे हैं। कि जैसे बाहरी प्रत्याशी शकुंतला भगत ने पूरे पांच साल जनपद सदस्य का लाभ अपने गांव रूपडेगा, भालुकोना के लोगों को दिलाती रही। ठीक वैसे ही गीता पैंकरा चुनाव जीतने के बाद सलखिया जनपद सदस्य क्षेत्र से गायब हो जाएगी। इसलिए बाहरी प्रत्याशी गीता पैंकरा के झूठे वादे फं सना नहीं चाहते हैं। गीता पैंकरा ले लिए बाहर से आकर चुनाव लडऩे का फैसला कहीं महंगा भी साबित हो सकता है। तीसरी प्रत्याशी शांता भगत सही मायने में अभी तीसरे नम्बर पर ही है। लोगों से जनसम्पर्क करने में व्यस्त हैं। विशेष कर कोई नकारात्मक पक्ष कुछ भी नहीं है। शांता भगत को स्थानीय प्रत्याशी होने का भरपूर लाभ मिल रहा है। शान्ता भगत के पति रवि भगत का जनता के हित में आंदोलन कर युवाओं के बीच शिक्षा से लेकर खेलकूद में गांव के बच्चों को राष्ट्रीय स्तर तक खेल प्रतिस्पर्धा में पहुंचाना इन सब के कारण शांता भगत के पक्ष में शिक्षित और युवा मतदाताओं या काफी लगाव है। जो जनहित के लिए है तो अच्छा है। पर अब देखना होगा कि यह त्रिकोणीय मुकाबला का अंतिम परीक्षा का परिणाम में बाजी कौन मार पाते हैं?