जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़। सरकार की धान खरीदी नीति को लेकर किसानों में बेचैनी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है और बढ़ना स्वाभाविक भी है।खास कर उन कथित बड़े किसानों को जिनका एक हेक्टेयर भूमि से ज्यादा का रकबा पंजीकृत हैं। आदिम जाति सेवा सहकारी समिति धर्मजयगढ़ के अंतर्गत कुल 1298 किसान पंजीकृत है जिसमें 950 छोटे और 348 बड़े किसान हैं। इस वर्ष छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा धान खरीदी 1 दिसंबर से प्रारंभ की गई है और आज 8 जनवरी तक कुल 23 दिन ही किसानों का धान खरीदी हुआ है। अब तक केवल 380 किसानों के धान खरीदे गए हैं। अब धान खरीदे जाने वाले दिनों को अगर देखें तो इस माह के 22 दिन और फरवरी माह के 15 दिन ही शेष बचे हैं। जिसमें शनिवार और रविवार को जोड़कर कुल 10 दिन छुट्टी है एवं एक मकर संक्रांति और बसंत पंचमी को मिला दे तो 2 दिन और कुल 12 दिन की छुट्टियां हैं। सभी छुट्टियों को घटा दे और मौसम साफ रहा तो केवल 25 दिन ही धान खरीदी होगी। जिस हिसाब से धान खरीदी का कार्य चल रहा है उस हिसाब से प्रतिदिन 22 से 25 किसानों का ही धान तौल हो पा रहा है। ऐसे में शेष 25 दिनों में 625 किसानों का ही धान अधिकतम लिया जा सकता है। जबकि अभी कुल 918 किसान बचे हुए हैं । अगर 625 किसानों का धान सही सलामत खरीदी हो जाता है फिर भी 300 किसान शेष रह जाएंगे सरकार के धान खरीदी नीति के अनुसार पहले छोटे किसानों के धान खरीदे जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में जो किसानों का धान खरीदी नहीं हो पाएगा वह सभी बड़े किसान हैं। ऐसी स्थिति बनी रही और धान खरीदी का तिथि नहीं बढ़ाया गया तो बड़े किसानों का धान बेच पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है।
अंधेर नगरी चौपट राजा टके सेर भाजी टके सेर खाजा- टीकाराम पटेल
प्रदेश भाजपा किसान मोर्चा के सदस्य टीकाराम पटेल ने कांग्रेस सरकार की धान खरीदी नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि स्थानीय व्यापारियों एवं छोटे दुकानदारों द्वारा धान खरीदने के बाद शासन द्वारा छापामार कार्यवाही कर पकड़े जाने की स्थिति में धान खरीदी बंद कर दिये है। जिससे गांव के छोटे किसान जो कभी धान बेचने के लिए पंजीयन भी नहीं कराते उन्हें बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है ऐसे ग्रामीण किसान चाय पत्ती, शक्कर, नमक, तेल खरीदने के लिए भी धान लेकर दुकान में जाते हैं लेकिन शासन के कठोर नीति की वजह से अपना धान दुकानदारों के पास नहीं बेच पा रहे हैं और कोई दुकानदार चोरी चुपके ले भी रहा है तो वह 8 रुपए किलो में धान मांग रहा है और किसान देने के लिए मजबूर है वही पशुओं को खिलाया जाने वाला धान का कोड़ा 10 रुपए किलो बिक रहा है। छेरछेरा मांग कर क्या करेंगे ? छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध स्थानीय त्यौहार छेरछेरा पूस पुन्नी को मनाया जाता है। इस दिन गांव के नवयुवक, युवक, बच्चे बूढ़े सभी सब के घर घर जा जाकर धान मांगते हैं और जो धान एकत्रित होता है उसे बेचकर कई लोग पिकनिक मनाने जाते हैं। तो कई लोग अपने खेल के सामग्री अन्य आवश्यक चीज खरीदते हैं। इस बार छेरछेरा मांगने वाले नवयुवकों में उत्साह दिखाई नहीं दे रहा है। क्योंकि छेरछेरा मांगकर धान को कहां बेचेंगे उनके लिए समस्या बन गई है। छत्तीसगढ़ सरकार नरबा गरुबा घुरुवा बाड़ी को संरक्षित कर छत्तीसगढ़ की पुरानी धरोहरों को बचा रही है।तीज त्यौहार, सांस्कृतिक धरोहर,खेल कूद को बढ़ावा दे रही है लेकिन अभी तक छेरछेरा त्यौहार का छुट्टी की घोषणा अभी तक नही हुई है।