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स्वास्थ्य विभाग के नाक की नीचे फल-फूल रहा झोलाछाप डॉक्टर … ग्रामीण जान जोखिम में डालकर करवाते हैं ईलाज

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जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़ । शासन-प्रशासन के कड़े निर्देश के बाद भी धरमजयगढ़ विकास खण्ड में झोलाछाप डॉक्टरों पर कोई कार्यवाही नहीं किया जा रहा है। झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्यवाही नहीं होने से झोलाछाप डॉक्टरों के हौसला बुलंद हो गये हैं। ये बिना रोक-टोक के धड़ल्ले से मरीजों का ईलाज कर रहे हैं। इनके ईलाज से ग्रामीण अपनी धन के साथ-साथ जान भी गवां रहे हैं। छत्तीसगढ़ शासन ग्रामीणों को ईलाज करने में कोई परेशानी न हो इसके लिए सरकारी अस्पताल को दो टाइम सुबह शाम खोलने का आदेश दिया गया है। लेकिन इसके बाद भी ग्रामीण सरकारी अस्पताल आना नहीं चाहते हैं क्योंकि धरमजयगढ़ के सरकारी अस्पताल भगवान भरोसे चलते हैं यहां के डॉक्टर ओपीडी के समय अपने बच्चों को स्कूल छोडऩे और लेने जाता हैं गभीर मरीज घंटों तक अस्पताल में बैठकर डॉक्टर का इंतजार करते रहते हैं। घंटों इंतजार करने के बाद भी डॉक्टर मरीजों के साथ अच्छे से बात तक नहीं करते हैं। शासन द्वारा गर्भवती महिलाओं के देखभाल एवं उचित इलाज हो इसके लिए सिविल अस्पताल में हर माह के 9 तारीख को गर्भवती महिलाओं का जांच किया जाता है। लेकिन जांच में आये गर्भवती महिलाओं को अपनी जांच करवाने के लिए डॉक्टर का इंतजार करना पड़ता जिसके कारण गर्भवती महिला जांच तक करवाना नहीं आना चाहते हैं धरमजयगढ़ के सरकारी अस्पताल में। जिसका फायदा झोलाछाप डॉक्टर बखूबी उठा रहे हैं। धरमजयगढ़ में झोलाछाप डॉक्टर खून तक मरीजों को चढ़ा देते हैं जबकि खून चढ़ानें के लिए कई सारे नियम कायदे होते हैं, सारे नियम कायदे को अपने झोला में रखकर झोलाछाप डॉक्टर मरीजों का ईलाज कर रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग झोलाछाप डॉक्टर पर करे कड़ी कार्यवाही
इस तरह बेखौफ होकर झोलाछाप डॉक्टर अपने कार्य को अंजाम दे रहे हैं। इनके ऊपर कार्यवाही होना अति अवश्यक हो गया है। स्थानीय स्वास्थ्य विभाग को चाहिए कि क्षेत्र में झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा संचालित कर रहे क्लीनिक व घूमघूम कर ईलाज करने वालों की जांच कर कड़ी कार्यवाही करें ताकि गरीब आदिवासी मरीज की आर्थिक क्षति के साथ साथ उनकी जान भी बच सकें।

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