जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़ । धरमजयगढ़ वन मंडल में हाथियों का उत्पात थमने का नाम नहीं ले रहा है। कुछ दिनों पूर्व गणेश हाथी के उत्पात और हिंसक हो जाने के कारण विभाग ने कुमकी हाथी मंगाकर गणेश हाथी को काबू में करके अन्यंत्र ले जाने का प्रयास किया गया था। इसमें विभाग को बहुत हद तक सफलता भी मिल गई थी। लेकिन ऐन वक्त पर माननीय उच्च न्यायालय के रोक के बाद उसे छोडऩा पड़ा। तब से यह हाथी अकेला ही विचरण कर रहा था। अब यह गणेश हाथी अपने कई साथी बना लिया है कुछ दिन अन्य वनमंडल क्षेत्र में इसके चले जाने से यहां शांति बनी हुई थी। लेकिन अभी हाल ही में अपने दलबल सहित यह गणेश हाथी धरमजयगढ़ वन मंडल के छाल रेंज में आ पहुंचा है। यह हाथियों का दल किसानों की तैयार खड़ी फसल को नुकसान पहुंचा रहा है। चालू वर्ष में हाथियों से मरने वालों की संख्या के आंकड़ों पर नजर डाले तो 11 में से 10 लोगों को यह अकेला गणेश हाथी मौत के घाट उतारा है। कल रात्रि यह हाथियों का दल छाल वन परीक्षेत्र के दर्जनों किसानों के कई एकड़ जमीन में खड़ी फ सल को खाकर चौपट कर दिया है। आज दिन में ही यह गणेश हाथी अपने साथी हाथियों के साथ छाल वनपरिक्षेत्र अंतर्गत छाल, घरघोड़ा मुख्य मार्ग में बोजिया के करीब दो ट्रकों पर हमला कर दिया। चालक एवं सहचालक अपनी जान बचाने ट्रक छोड़कर भागे। गणेश हाथी वाहन का कांच तोड़कर ट्रक में रखे खाद्य सामग्री को चट कर गया और जंगल की ओर चल दिया। सूचना मिलते ही छाल वन परिक्षेत्र के अधिकारी कर्मचारी मौके पर पहुंच कर ट्रकों में हुए नुकसानी का जायजा लिया। यह वही गणेश हाथी है जो अब तक कई लोगों को मौत के घाट उतार चुका है। यह वही गणेश हाथी है जिसे ठीक करने के लिए प्रशिक्षित हाथी कुंमकी बुलवाये गये थे। लोगों की मानें तो अब यह गणेश हाथी और अपने साथियों को प्रशिक्षित कर रहा है। बताया जाता है कि इसके प्रशिक्षण से बाकी हाथी भी उग्र हो रहे हैं। वर्तमान में धरमजयगढ़ वन मंडल के सभी परीक्षेत्रों में हाथियों का दल विचरण कर रहा है। यह क्षेत्र हाथियों को इतना भा गया है कि वह इस क्षेत्र से हटने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। इस क्षेत्र का वातावरण इन के लिए कितना अनुकूल है कि हाथी अब यहां प्रजनन भी करने लगे हैं। जिससे इनकी संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
कितना कारगर साबित होगा लेमरू एलीफेंट रिजर्व
भारत सरकार ने 1992 में प्रोजेक्ट एलीफेंट के अंतर्गत हाथी संरक्षण क्षेत्र बनाने का निर्णय लिया था इस योजना की तीन उद्देश्य हैं हाथियों और उनके प्राकृतिक वास का संरक्षण, मनुष्य पशु संघर्ष के मुद्दे को हल करना और बंदी हाथियों की देखभाल करना। छत्तीसगढ़ में लेमरू हाथी रिजर्व एवं बादल खोल तमोर पिंगला हाथी रिजर्व नाम से दो हाथी संरक्षित क्षेत्र है। लैंब्रुस्को एलीफेंट रिजर्व बनाने की तैयारी शुरू हो चुकी है सरकार देश की जानकारी मांगी है 5 साल में कब-कब हाथी आए और कितने दिन रुके उसकी पूरी जानकारी कंगाली जा रही है। गौरतलब है कि लेमरू मैनपुरी क्षेत्र को लंबे समय से हाथी अभ्यारण्य से लेकर एलीफेंट रिजर्व बनाने को लेकर कई बार तैयारी हो चुकी है। 2005 में केंद्र सरकार ने इसके लिए प्रस्ताव पारित किया इसके बाद 2007 में केंद्र सरकार ने लेमरू को एलीफेंट रिजल्ट घोषणा की थी हालांकि सी भी किया में कोल माइंस को लेकर फि र ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था तब से लेकर अब तक इसकी प्रक्रिया आगे नहीं पड़ी थी। इस संबंध में वन मंडल अधिकारी प्रियंका पांडे ने बताया कि जो जानकारी शासन द्वारा चाही गई थी वह हमने भेज दिया है। लिंबू हाथी प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद लोगों के लिए कितना कारगर साबित होगा आज आने वाला समय से ही पता चलेगा।