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सही समय पर आंगनबाड़ी भवन निर्माण नहीं होने से ग्रामीणों में आक्रोश * भवन नहीं होने से आंगनाबड़ी संचालन में हो रही परेशानी

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संजय सारथी बाकारूमा।

सरपंच-सचिव की लापरवाही से दो साल से आंगनबाड़ी केन्द्र को सामुदायिक भवन में लगाया जा रहा है। बताया जाता है कि बाकारूमा में पहले आंगनबाड़ी भवन था जो पूरी तरह जर्जर होने के कारण दो साल से आंगनबाड़ी को सामुदायिक भवन में लगाया जा रहा है। गभवाती महिलाओं और बच्चों की देखभाल केंद्र है। बच्चों के भूख और कुपोषण से मुक्ति और गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य संबंधी देखरेख के उद्देश्य से शासन ने देश के हर गांव कस्बों में आंगनबाड़ी केंद्र की नींव रखकर आंगनबाडिय़ों में 6 वर्ष से कम उम्र के सभी बच्चों को पूरक पोषण आहार वितरण के साथ-साथ 3 से 5 वर्ष के बच्चों को पूर्व स्कूल शिक्षा प्रदान की जाती है। आंगनबाड़ी का अर्थ यहां आंगन और आश्रय से है लेकिन यहां आंगन है और ना ही आशियाना धरमजयगढ़ विकासखंड के कापू बाल विकास परियोजना अंतर्गत बाकारुमा सेक्टर का आंगनवाड़ी केंद्र जो कि लगभग आज से 35 वर्ष पूर्व बनाया गया था लेकिन वक्त के साथ लकड़ी और खपरैल से बना यह भवन जर्जर हो जाने के चलते इसके स्थान पर करीब दो वर्ष पूर्व से 6.50 हजार की लागत राशि से नया आंगनबाड़ी भवन का निर्माण किया जा रहा है लेकिन आज तक भवन का निर्माण नहीं हो सका है वहीं बांकारूमा सरपंच कमला राठिया अब इसे सिर्फ डेढ़ माह में पूरा करने की बात कह रही है जो केवल झूठा वादा ही लगता है। आंगनबड़ी भवन नहीं होने से आंगनबड़ी कार्यकर्ता रेखा देवी को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है उनके द्वारा पंचायत के सामुदायिक भवन में आंगनबाड़ी का संचालन किया जा रहा है।
आंगनबाड़ी लगाने सामुदायिक भवन तो दिया पर बच्चों के लिए खाना बनाने नहीं देती सरपंच
मजेदार बात है कि आंगनबाड़ी संचालन करने के लिए सरपंच सचिव ने सामुदायिक भवन तो दिया लेकिन साथ ही में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को एक फरमान भी दे दिया कि सामुदायिक भवन में बच्चों के लिए खाना नहीं बनाना। प्रश्न यह उठता है कि आंगनबाड़ी में बच्चों के लिए शासन से खाना देने का नियम है पर कार्यकर्ता करें तो क्या करें सरपंच-सचिव का फरमान जो है सामुदायिक भवन में खाना नहीं बनाने का अगर सरपंच-सचिव की बात न माने तो सामुदायिक भवन में आंगनबाड़ी नहीं लगाने देेंगे इसलिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने अपने सहायिका से अपने घर में खाना बनाकर सामुदायिक भवन में लाकर बच्चों को खाना खिलाते हैं। इस तरह की लफरवाही से साफ जाहिर होता है कि जनप्रतिनिधि से लेकर अधिकारी-कर्मचारी इन आंगनबाड़ी में आश्रित बच्चों और गर्भवती महिलाओं के चिंता प्रति कितना गंभीर है।

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