संजय सारथी बाकारुमा।
आंगनबाड़ी ग्रामीण क्षेत्रों में मां और बच्चों की देखभाल केंद्र है। बच्चों के भूख और कुपोषण से निपटने के लिए एकीकृत बाल विकास 1985 में उन्हें भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया था। आंगनबाड़ी का अर्थ है कि आंगन आश्रय, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी अत्यंत महत्वपूर्ण है वे गर्भवती महिलाओं के लिए जन्मपूर्व और प्रसवपूर्ण देखभाल सुनिश्चित करते हैं और नवजात शिशुओं और नर्सिंग माताओं के लिए तुरंत निदान और देखभाल करते हैं वे 6 वर्ष से कम उम्र के सभी बच्चों के टीकाकरण एवं पोषण आहार का भी प्रबंध करते है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए पूरक पोषण के वितरण व महिलाओं के लिए नियमित स्वास्थय और चिकित्सा जांच की निगरानी उनकी मुख्य जिम्मेदारियों में से एक है। कार्यकर्ता एक शिक्षक की भूमिका निभाते हैं और 3 से 5 साल के बीच के बच्चों को पूर्व-स्कूल शिक्षा प्रदान करना है। इसके विपरीत बाल विकाश परियोजना कापू के अंतर्गत बाकारूमा सेक्टर में आंगनबाड़ी की संख्या लगभग 30 से 40 आंगनबाड़ी में पिछले कई माह से गर्भवती माताएं वा बच्चे को मिलने वाली पुरक पोषण आहार किसी भी आंगनबाड़ी में करीब जुलाई माह से वितरण नहीं किया जा रहा है बाकी सभी आंगनाड़ी में किया जा रहा है ऐसा भेदभाव या इसी सेक्टर में कियूं किया जा रहा है ओ भी बच्चे और गर्भवती महिलाओं की खाद्य सामग्री के साथ तो खिलवाड़ ना किया जाए इन बातों का जब पता चला तो हमारी टीम जब बाकारुमा क्षेत्र के कई आंगनबाड़ी में पता करने से कार्यकर्ताओं के द्वारा साफ -साफ ये नई बताया गया कि किस कारण बंद हुआ है बाकी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि जुलाई माह से बंद हैं इन सब कारणों का जिम्मेदार कौन बच्चे और गर्भवती महिलाओं को पुरक पोषण आहार मिलने वाली खाद्य सामग्री के साथ खिलवाड़ ना किया जाए आखिर इसी सेक्टर में ऐसा क्यू किया जा रहा है बाकी सेक्टरों में वितरण किया जा रहा है ये सामग्री कहा और किसके तक आ के रुक जा रही है इसके जिम्मेदार कौन होगा। हमारे देश में कुपोषण हटाने के लिए पुरक पोषण आहार की विशेष योजना चलाई जा रही हैं लेकिन उन्हीं योजना का दुरुपयोग करती हुई नजर आ रही है कापू बाल विकास परियोजना और बाकारुमा सेक्टर पर्यवेक्षक को इन सब की जानकारी होते हुए भी आज तक चुप्पी साधे हुए है।ं