अशोक भगत लैलूंगा।
सरकार चाहे लाख दावा करें कि प्रदेश में शिक्षा के स्तर में सुधार हो रहा हैं लेकिन इनके दावा रायगढ़ जिले में पूरी तरह फेल है। रायगढ़ जिले के आदिवासी बाहुल्य विकासखण्ड लैलूंगा में आज के इस समय में भी स्कूली बच्चे अपनी जिंदगी गढऩे के लिए पेड़ के नीचे बैंठकर पढ़ाई करने को मजबूर हंै। यह बात सूनने को तो बहुत अजीब लग रहा है लेकिन यह बात सौ टका सच है। लैलूंगा विकास खण्ड के ग्राम पंचायत करमगा के सराईपारा महोल्ला में प्राथमिक शाला का हाल इतना जर्जर है कि इस स्कूल बच्चों को अपनी जान का डर हमेशा लगा रहता है। स्कूली बच्चों के साथ कोई अनहोनी न हो जाये इसके डर से स्कूल के शिक्षक बच्चों को पेड़ के नीचे पढ़ाते हैं स्कूल के प्रधान पाठक गंझूराम सिदार ने हमारी टीम को बताया कि स्कूल भवन में 3 कमरें हैं सभी कमरे में पानी टपकता है और एक कमरे में से तो छत का छड़ और गिट्टी गिरता है अगर इस कमरें में बच्चें को बैठाया जाये तो किसी भी समय बच्चों के साथ अनहोनी घटना घट सकती है। स्कूल का बरामदा इतना भी बड़ा नहीं है कि सभी बच्चों को एक साथ बैठाया जाये क्योंकि प्राथमिक शाला सराईपारा में 67 बच्चे पढ़ाई करते हैं। इसलिए आधे बच्चों को पेड़ के नीचे बैठाकर पढ़ाई करवाते हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारी से बात करने पर गैर जिम्मेदाराना जावाब देते हैं और बोलते हैं कि पूरे विकासखण्ड में 100 से अधिक शाला भवन जर्जर हैं। एक बार के लिए मान लिया जाये कि इनके 100 शाला भवन जर्जर है तो क्या विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी इन शालाओं में पढऩे वाले बच्चों के लिए वैकल्पित व्यवस्था नहीं कर सकते हैं?
मुझे इसकी जानकारी नहीं है कि सराईपारा प्राथमिक शाला भवन की स्थिति खराब है मुझे आपके माध्य से पता चला है मैं अधिकारियों से चर्चा कर स्कूल को पंचायत भवन या फिर किसी अन्य जगह व्यवस्था करवाता हूं।
ठंडाराम बेहरा ब्लॉक अध्यक्ष एवं जनपद सदस्य