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सत्ता के नशे में चूर कांग्रेसी कार्यकर्ता, अधिकारियों को दे रहे निर्देश * किसी भी पार्टी के कार्यकर्ता अधिकारी कर्मचारियों को नहीं दे सकते निर्देश

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अशोक भगत लैलूंगा। 15 साल सत्ता से दूर रहने  के बाद छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने से कांग्रेसी कार्यकर्ता सत्ता के नशे में इतने चूर हो गये हैं कि अब अधिकारी कर्मचारियों को निर्देश देने लग गये हैं। किसी भी पार्टी के कार्यकर्ता हो या संगठन में कोई पद पर हो वहां सिर्फ अपने पार्टी फोरम में ही अपने कार्यकत्र्ताओं को निर्देशित कर सकते हैं। लेकिन 15 साल बाद सत्ता में आने पर पार्टी के कार्यकर्ता नियम धरम को भूल गये हैं और अब ये कार्यकर्ता अधिकारियों को निर्देशित करने लग गये हैं। मामला है लैलूंगा विकास खण्ड का जोहार छत्तीसगढ़ के टीम को ग्रामीणों ने बताया कि लैलूंगा विकासखण्ड के ग्राम पंचायत झगरपुर में बूंद-बूंद पानी के लिए ग्रामीणों को दो-चार होना पड़ता है। ग्रामीणों ने विधायक से मुस्लमान  मोहल्ले के महिलाओं ने पानी की समस्या को लेकर मुलाकात किए थे। जिस पर विधायक सिदार ने तत्काल पानी की समस्या को दूर करने की बात कहते हुए अपने-अपने घर भेज दिया था। लेकिन विधायक ने मुस्लमान मोहल्ले की पानी समस्या को दूर तो नहीं किया पर अपने ससुराल मुहल्ले में बोर खनन जरूर करवा दिया गया है। इन सभी मुद्दों को लेकर 23 अगस्त को जोहार छत्तीसगढ़ ने प्रमुख्ता से प्रकाशित किया था। समाचार प्रकाशित होने पर लैलंूगा के कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने अपने साथ मीडिया कर्मियों को लेकर झगरपुर गांव पहुंचे थे। और गांव में जाकर मीडिया के सामने अपनी बात रखी और मीडिया को बताया कि झगरपुर में 12 बोर खनन किया गया वह सभी बोर सूखा निकला जिसके कारण पानी की समस्या हो रहा है पानी की समस्या को दूर करने के लिए अधिकारियों को निर्देेशित किया गया है। मीडिया के साथ कांग्रेस के लैलूंगा ब्लॉक अध्यक्ष भी थे ब्लॉक अध्यक्ष ने ही स्थानीय प्रशासन को निर्देशित किया है। अब सवाल उठता है कि क्या किसी पार्टी कार्यकर्ता सरकारी कर्मचारियों को निर्देशित कर सकते हैं क्या? अधिकारी कर्मचारियों के पास पार्टी कार्यकर्ता मांग, निवेदन कर सकते हैं निर्देश नहीं दे सकता निर्देश जनप्रतिनिधि दे सकते हैं। लेकिन लैूलंगा विकास खण्ड के ब्लॉक अध्यक्ष ने झगरपुर में पानी की समस्या की सच्चाई छुपाने के लिए मीडिया को साथ ले जाकर इस तरह का बयान दिया है। कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारियों को इस पर ध्यान देना चाहिए कि किसी कार्यकर्ता के चलते पार्टी बदनाम न हो।

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