धरमजयगढ़।
सरकर शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए जितना भी दावा करें कि प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था में लगातर सुधार हो रहा है सरकार का सरा दावा रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ विकास खण्ड में फेल है। सरकार के दावों की हकीकत अगर किसी को जानना हो तो धरमजयगढ़ विकासखण्ड में आकर देख सकते हैं कि कितना लचर शिक्षा व्यवस्था है। किसी स्कूल में शिक्षक नहीं है तो किसी स्कूल के शिक्षक स्कूल जाते ही नहीं है तो कई स्कूल के शिक्षा सिर्फ स्कूल में हाजरी के लिए अंगूठा मारने भर के लिए स्कूल जाते हैं। सबसे मजेदार बात है कि शिक्षकों का निवास स्कूल से 25-30 किलोमीटर की दूरी होते हैं तो सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि इतने अधिक दूरी से क्या सही समय पर स्कूल पहुंंचा जा सकता है। जबकि शासन के नियम है कि कोई भी शासकीय अधिकारी कर्मचारी मुख्यालय में ही रहकर कार्य करेंगे लेकिन धरमजयगढ़ विकास खण्ड में शासन का ये कानून शायद लागू नहीं होता होगा? शिक्षा विभाग की बात कि जाये तो लगभग सभी शिक्षक अपने निर्धारित मुख्यालय में न रहकर विकास खण्ड मुख्यालय में रहते हैं और इसकी जानकारी शिक्षा विभाग के अधिकारी से लेकर एसडीएम को भी होने के बाद भी इन शिक्षक पर कार्यवाही तो दूर की बात है कारण बताओ नोटिस तक जारी नहीं किया जाता है। आज हम आप लागों को एक ऐसे स्कूल के बारे में बतायेंगे सूनकर ही आप सोचने पर वेवश हो जायेंगे कि हम क्या कर रहे हैं अपने कलेजे के टूकड़े को अपनी जिंदगी बनाने के लिए उनके जिंदगी दाव पर लगा रहे हैं पर ये गरीब मां-बाप करें तो क्या करें इनके पास इसके आलावा कोई चारा भी तो नहीं है।
धरमजयगढ़ विकासखण्ड के धौराभाठा प्राथमिक शाला भवन इतना जर्जर है कि बच्चे क्लास रूम में बैठ ही नहीं पाते हैं। स्कूल का छत खपरेल का है और उसका छत का खपरेल पूरी टूट फूट चूका है जिसके कारण बरसात का पानी छत से सीधा क्लास रूम के अंदर गिरता है, खपरेल होने के कारण छत में लकड़ी भी लगा है जो पूरी तरह सड़ चुका है कभी भी टूटकर गिर सकता है। इसे सुधारने के लिए न तो स्कूल के हेडमास्ट ध्यान दे रहे हैं और न तो शिक्षा विभाग के अधिकारी स्कूली बच्चों का कहना है कि आज तक इस स्कूल का निरीक्षण करने के लिए कोई भी अधिकारी नहीं आये हैंं। अधिकारियों द्वारा निरीक्षण नहीं करने के कारण शिक्षकों का मनमानी चरम पर है। शासन द्वारा स्कूल मरम्मत के नाम पर हर साल हजारों रूपये स्कूल को दिया जाता है लेकिन हेड मास्टर द्वारा स्कूल मरम्मत किया जाता है कि नहीं इसकी कभी जांच नहीं होता है जिसका ताजा उदाहरण है प्राथमिक शाला धौराभाठा। स्कूल की स्थिति इतना खराब है कि बच्चे पानी गिरने पर बल्टी क्लास रूम में लगा कर बैठते हैं लेकिन पूरे छत से पानी गिरने के कारण बच्चे खड़े रहते हैं। इस स्कूल में 2 अतिरिक्त कक्ष निर्माण के लिए सरकार द्वारा राशि जारी किया गया था लेकिन 8-10 साल से अतिरिक्त कक्ष निर्माण पूरा नहीं हो सका है निर्माण एजेंसी को शासन द्वारा दिये गये राशि का बंदरबांट कर लिया गया, लेकिन इसकी जांच विभाग द्वारा किया गया है या नहीं इसकी जानकारी किसी ने नहीं दे सका।
शाला मरम्मत की राशि को शिक्षकों ने किया शासन को वासपी
सरकार द्वारा पिछले सत्र में प्राथमिक शाला धौराभाठा को स्कूल मरम्मत के लिए 50 हजार रूपये ग्राम पंचायत धौराभाठा को जारी किया गया था लेकिन शिक्षकों की लारवाही के चलते मरम्मत की राशि को वापसी करना पड़ा। जबकि प्राथमिक शाला धौराभाठा का स्कूल भवन का छत खपरेल हैं 50 हजार रूपये में आराम से स्कूल का खपरेल बदलकर एडबेस्ट सीट लगाया जा सकता था लेकिन स्कूल के हेडमास्टर और शाला विकास समिति की लापरवाही का खामियाजा नन्हें मुन्नें बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। स्कूल के शिक्षक प्रभा शंकर राठिया ने बताया कि पिछले सत्र में शासन द्वारा शाला मरम्मत के नाम पर ग्राम पंचायत धौराभाठा को 50 हजार रूपये जारी किया गया था लेकिन शाला विकास समिमि द्वारा स्कूल मरम्मत नहीं कराने की बात कही है इसलिए शासन द्वारा जारी राशि से स्कूल मरम्मत नहीं करवाया गया वहीं सबसे मजेदार बात है कि इस स्कूल में न तो अधिकारी निरीक्षण के लिए जाते हैं और न ही सीएससी यहां तो सब अपने आप में मद मस्त है।