प्रीतम जायसवाल , पाली- दोपहिया सवार 14 से 18 वर्ष के नाबालिगों के हाथों में सुविधास्वरूप अभिभावकों द्वारा वाहन की चाबी थमा दी जा रही है।अपितु बच्चों को सुविधा नही असल में हादसों की चाबी थमाई जा रही है।जो सड़क पर बढ़ते दबाव के बीच लगातार हादसों को बढ़ावा दे रहा है। देखा जा रहा है कि अभिभावकों द्वारा अपने बच्चों को स्कूटी व मोटरसाइकिलों को बिना किसी भय के चलाने की अनुमति दे दी गई है।लेकिन वे इस बात से अनजान हैं कि बच्चे किसी भी वक्त हादसों का शिकार हो सकते हैं।जिले के लगभग हर निजी एवं शासकीय स्कूलों में नाबालिग बच्चे अपनी स्कूटियों व मोटरसाइकिलों पर फर्राटे भरते आते-जाते दिखाई देते हैं।लेकिन इस ओर न तो स्कूल प्रबंधन द्वारा ध्यान दिया जाता है और न ही अभिभावक गंभीरता से सोंचते है।जिसके चलते किशोरों में दोपहिया वाहन दौड़ाने का शौक लगातार बढ़ता जा रहा है।नियमों को दरकिनार करते हुए नाबालिग दोपहिया वाहनों को लेकर सड़कों पर फर्राटे भर रहे हैं।जो कभी भी हादसों की वजह बन सकती है। विदित हो कि अधिकांश अभिभावकों द्वारा अपना समय व सिरदर्दी समाप्त करने के लिए बच्चों के हाथों में दोपहिया वाहन पकड़ा दिए गए हैं।और इस ओर से वे बेफिक्र हो गए है।लेकिन ऐसा करके उन्होंने बच्चों की जान को खतरे में डाल दिया है।बेशक भागदौड़ वाली जिंदगी में हर किसी के पास समय की कमी है।लेकिन फिर भी बच्चों की जिंदगी के साथ समझौता नहीं किया जा सकता।वर्तमान परिवेश में अभिभावकों को अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए स्कूली वाहन का प्रबंध करना पड़ता है।अगर अभिभावक स्कूली वाहन का प्रबंध न करें तो उन्हें अपने कामकाज से समय निकालकर बच्चों को स्कूल ले जाना व उन्हें वापस लाना पड़ता है।जिससे उनका खुद का काम प्रभावित होता है।इन परेशानियों से बचने के लिए अभिभावक अपने नाबालिग बच्चों को ही स्कूटी या मोटरसाइकिल आदि खरीदकर देने लगे हैं।अभिभावक तो बच्चों को सुविधा देने के नाम पर गलती कर ही रहे है।दूसरी ओर स्कूल प्रबंधनों द्वारा भी इस बात पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता कि बच्चे कैसे स्कूल पहुंच रहे हैं।रोजाना स्कूल परिसर के बाहर दोपहिया वाहनों की कतार देखी जा सकती है जिस पर सवार होकर और कोई नही बल्कि नाबालिग ही स्कूल पहुंचते हैं।ऐसे में किसी भी समय कोई अप्रिय घटना घटित हो सकती है।स्कूली बच्चों की सुरक्षा हेतु स्कूली वाहनों पर प्रशासन ने शिकंजा कसा है लेकिन सड़कों पर स्कूली वर्दी पहनकर दोपहिया वाहन दौड़ा रहे नाबालिगों की ओर ध्यान देने वाला कोई नही रहा।जबकि यातायात नियमों के मुताबिक़ नाबालिग वर्ग कोई भी वाहन चलाने हेतु अधिकृत नहीं हैं।अगर अभिभावक और विद्यालय प्रशासन इस ओर गहनता से विचार करें तो काफी हद तक नाबालिगों को दोपहिया वाहन से दूर रखा जा सकता है।लेकिन ऐसा नही होना चिंता का विषय बना हुआ है।