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खुले में शौच करने वाला ग्राम पंचायत रतनपुर को दे दिया ओडीएफ का दर्जा * घोटाला किया सरपंच-सचिव ने ग्रामीणों को नहीं मिला शौचालय * सरपंच सचिव की लापरवाही से खुले में शौच करने मजबूर रतनपुरवासी

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धरमजयगढ़। अनन फानन में पूरे विकासखण्ड को ओडीएफ घोषित करने वाला विकास खण्ड धरमजयगढ़ में सरपंच-सचिव ने खूब शौचालय घोटाला कर मालामल हो गये हैं। सरपंच-सचिव ग्रामीणों को मिलने वाला शौचालय पर इस कदर डाक डाल की ग्रामीणों को शासन से मिलने वाला शौचालय ही गायब हो गया और अगर शौचालय मिला तो आधा अधूरा निर्माण किया हुआ। शौचालय पूर्ण नहीं होने के कारण ग्रामीणों को खुले में शौच करने को मजबूर होना पड़ रहा है।

आज हम आपको ग्राम पंचायत रतनपुर में किस कदर सरपंच-सचिव द्वारा शौचालय घोटाला किया है इसके बारे में बतायेंगे। जब हमारी टीम ने ग्राम पंचायत रतनपुर का दौरा किया तो पाया कि ग्राम पंचायत में अधिकत्तर घरों में शौचालय निर्माण नहीं हुआ है और अगर निर्माण हुआ तो छत, दरवाज नहीं है। अब बिना छत दरवाजा के शौचालय में ग्रामीण किस तरह शौच करेंगे आप सोच ही सकते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि शौचालय का निर्माण ग्राम पंचायत के सचिव द्वारा किया। सचिव को शौचालय निर्माण पूरा करने कहने पर सचिव ग्रामीणों को कोई जवाब नहीं देते हंै। यह आरोप सरपंच-सचिव पर हम नहीं लगा रहे हैं यह आरोप ग्रामीणों ने लगाया है। आप चित्र देखकर ही अंदाजा लगा सकते हैं कि किस कदर भ्रष्टाचार कर सरकारी खजाने को चूना लगाया है सरपंच-सचिव ने।
ग्रामीणों ने सचिव पर लगाया भ्रष्टाचार करने का आरोप
ग्रामीणों ने बताया कि सचिव ग्राम पंचायत मुख्यालय में नहीं रहते हैं कभी कभार ही ग्राम पंचायत आते हैं सचिव के मुख्यालय में नहीं आने से ग्रामीणों को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम पंचायत सचिव धरमजयगढ़ मुख्यालय में रहते हैं जिसकी दूरी ग्राम पंचायत से 40-45 किलोमीटर दूर है। ग्रामीणों ने सचिव पर शौचालय निर्माण पर खुलकर भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया है। ग्रामीणों को कहना कि सचिव द्वारा निर्माण करवाया गया शौचालय बहुत ही घटिया है इसका उपयोग नहीं किया जा सकता है। सचिव द्वारा निर्माण करवाया गया शौचालय में दरवाजा तो किसी में सीट नहीं है वहीं अधिकत्तर शौचालय में छत नहीं है फिर ग्राम पंचायत रतनपुर को सरपंच-सचिव ने खुले में शौच मुक्त ग्राम पंचायत का दर्ज दिलवा दिया गया प्रशासन को धोखे में रखकर।
अधिकारी नहीं करते भ्रष्टाचार की जांच
सबसे मजेदार बात है कि ग्राम पंचायत में हो रहे भ्रष्टाचार की जांच अधिकारी कर्मचारी द्वारा नहीं किया जाता है जिसका नतीजा है कि ग्राम पंचायत में खुलकर सरपंच-सचिव भ्रष्टाचार कर मालामाल हो रहे हैं। ग्राम पंचायत का जांच करने का जिम्मा जनपद पंचायत सीईओ और पंचायत इंसपेक्टर का होता है लेकिन इन लोगों ने सरपंच-सचिव को भ्रष्टाचार करने का खुली छूट दे रखे हंै। जिसका उदारण देखना हो तो ग्राम पंचायत रतनपुर जाकर देख सकते हैं। पंचायत इंसपेक्टर को तो आप सिर्फ सचिवों से अवैध वासूली करने देख सकते हैं। पंचायत इंसपेक्टर अपने कुर्सी में बैठकर ही पंचायतों की शिकयात की जांच कर देते हैं पंचायत इंसपेक्टर कभी भी पंचायत में जांच करने नहीं जाते हैं पंचायत इंसपेक्टर को देर से देखकर ही सचिव जनपद पंचायत कार्यालय नहीं जाते हैं बाहर से ही भाग जाते हैं ये बोलते हुए कि चलो भाग जाते हैं नहीं तो खर्चा देना पड़ जायेगा। अब आप सोच सकते हैं कि क्या हाल होगा 118 ग्राम पंचायत का जहां ऐसे जांच अधिकारी पदस्थ हो?

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