जोहार छत्तीसगढ़ -बेमेतरा।
बेमेतरा जिला चिकित्सालय में 28 अप्रैल से 3 मई तक अल्ट्रासोनोग्राफी सेवाएं पूरी तरह से बंद कर दी गई हैं, जिससे आम नागरिकों और गर्भवती महिलाओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसकी वजह अस्पताल के एकमात्र सोनोग्राफी विशेषज्ञ डॉ. बुद्धेश्वर सिंह वर्मा का राजनांदगांव में आयोजित प्रशिक्षण में शामिल होना बताया जा रहा है।
हैरानी की बात यह है कि जिला अस्पताल जैसा महत्वपूर्ण संस्थान एकमात्र डॉक्टर पर निर्भर है और उनकी अनुपस्थिति के दौरान वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई। न तो कोई अस्थायी डॉक्टर की व्यवस्था की गई और न ही आस-पास के जिलों से सहयोग की कोई पहल की गई। इससे अस्पताल प्रबंधन की योजना और संवेदनशील सेवाओं के प्रति लापरवाही उजागर होती है।
स्थानीय लोगों और मरीजों का कहना है कि सोनोग्राफी जैसी जरूरी जांच सुविधा का छह दिन तक लगातार बंद रहना प्रशासन की लचर व्यवस्था का उदाहरण है, पहले भी देखा गया है की सोनोग्राफी करने वाले डॉक्टर जिस दिन अनुपस्थित होते हैं उसे दिन भी यह सुविधा बंद होती है । कई मरीजों को मजबूरी में महंगे निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ता है। कुछ लोगों ने सवाल उठाया कि क्या एकमात्र डॉक्टर की अनुपस्थिति का मतलब यह है कि उसके वापस आते तक सोनोग्राफी सुविधा पूरी तरह से बंद रहेगी?
क्या कहता है प्रशासन
- मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा है कि यह अस्थायी व्यवस्था है और 3 मई के बाद सेवाएं पुनः बहाल हो जाएंगी। उन्होंने सहयोग की अपील की है, लेकिन जनता का कहना है कि प्रशासन को पहले से योजना बनाकर वैकल्पिक डॉक्टर की तैनाती करनी चाहिए थी।