जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़।
रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ विकास खण्ड से हर दिन किसी न किसी प्रकार की गोलमाल की खबरे समाचार पत्रों की सुर्खियां बनते रहता है। आदिम जाति सेवा सहाकरी समिति सिसरिंगा में पदस्थ तात्कालीन प्रबंधक द्वारा लाखों रूपये का फर्जीवाड़ा करने का मामला उजागर हुआ था, शासकीय राशि गोलमाल करने वाला प्रबंधक पर आज दिनांक तक कोई कार्यवाही नहीं हुआ है। जबकि लाखों रूपये की गोलमाल करने का जांच भी हुआ जांच के बाद गोलमाल करने वाले प्रबंधक पर कार्यवाही के लिए न्यायालय उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं रायगढ़ द्वारा 26 जून 20216 को एक आदेश जारी करते हुए। तात्कालिन प्रबंधक निसार अहमद खान के संपत्ति कुर्की करने का आदेश जारी किया था। न्यायालय द्वारा 8 साल पहले दिय गये आदेश का पालन आज दिनांक नहीं किया गया। यह प्रकरण विजय कुमार मेहरा, प्राधिकृत अधिकारी, आदिम जाति सेवा सहकारी समिति मर्यादित सिसरिमा, वि.सां-धरमयजगढ़ (पर्यवेक्षक अपेक्स बैंक रायगढ़) द्वारा आरोपी निसार अहमद खान खान पूर्व प्रभारी प्रबंधक, सह डाटा एन्ट्री ऑपरेटर आदिम जाति सेवा सहकारी समिति मर्यादित सिसरिंगा के विरुद्ध सोसाइटी सिसरिगा को 543700000 रूपये के नुकसान के लिये छत्तीसगढ़ सहकारी सोसाइटी अधिनियम 1960 की धारा 58 (ख) के अंतर्गत आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रकरण न्यायालय में प्रस्तुत किया गया है। घटना का विवरण 6 नवंबर 2012 से 31 दिसंबर 2015 तक बताया गया है। प्रकरण में अवचार के तथ्य में प्रस्तुतकर्ता अधिकारी द्वारा प्रतिवेदित किया गया है कि निसार अहमद खान पूर्व प्रभारी प्रबंधक, सह डाटा एन्टी ऑपरेटर आदिम जाति सेवा सहकारी समिति मर्यादित सिसरिमा द्वारा कार्यकाल के दौरान वित्तीय रिकार्ड की पूर्णता नहीं की गयी है। जैसे कैशबुक, मेम्बर पंजी, ऋण खाता खौतनी इत्यादि इसी दौरान आरोपित व्यक्ति ने छत्तीसगढ़ ग्रामीण बैंक शाखा धरमजयगढ़, में संचालित (संधारित) समिति सिसरिंगा के खाता क्रमांक 5811105698 से 6 नवंबर 2012 से दिनांक 31 दिसंबर 2015 तक अपने कार्यकाल के दौरान 3568500 रूपये अनाधिकृत तरीके से राशि आहरण कर गणना किया गया है। इसी प्रकार आरोपित व्यक्ति द्वारा छत्तीसगढ़ ग्रामीण बैंक शाखा धरमजयगढ़ में समिति का खाता क्रमांक क्रमांक 5811105698 से 6 नवंबर 2012 से 31.12.2015 तक अपने कार्यकाल के दौरान 1868500 की अनाधिकृत तरीके से राशि आहरण कर जमा पर्चियों के माध्यम से रूपयों को एक तरफ जमा करना बताया है वही इतनी ही राशि को आहरण करते हुए संस्था के साथ धोखाधड़ी किया गय है। इसी संबंध में कार्यालय उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं रायगढ़ के पत्र क्रमांक/उपरा/विपणन /2459/2014 रायगढ़ दिनांक 26 दिसंबर 2014 के आदेशानुसार जांच दल द्वारा आरोपित व्यक्ति पर छत्तीसगढ़ ग्रामीण बैंक शाखा धरमजयगढ़ से 923000 का अनियमित आहरण सिद्ध पाया जिस पर कार्यवाही करते हुए प्रभारी प्रबंधक के पद से आरोपी को तत्काल हटाया गया है। उपरोक्तानुसार सोसाइटी सिसरिंगा में आर्थिक अनियमितताओं का वितरण प्रस्तुत करते हुए प्रस्तुतकर्ता अधिकारी वी. के. मेहरा द्वारा न्यायालय में छत्तीसगढ़ सहकारी सोसाइटी अधिनियम 1960 की धारा 58 (ख) (1) के अंतर्गत कार्यवाही हेतु प्रकरण प्रस्तुत किया गया है। प्रकरण में आरोपी को न्यायालय से नोटिस जारी किया गया। नोटिस के परिप्रेक्ष्य में आरोपी द्वारा जवाब प्रस्तुत किया गया। आरोपी ने अपने जवाब में प्रस्तुतकर्ता अधिकारी द्वारा प्रस्तुत आरोप पत्र की कंडिका 01, 11, 12, को स्वीकार किया है तथा कंडिका 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 13, 14, 15, 16 एवं 17 की विशिष्ट रूप से अस्वीकार किया है और अतिरक्ति कथन किया है कि उसको प्रभारी प्रबंधक का प्रभार 23 नंवबर 2012 को मिला या और वित्तीय प्रभार 31 दिसंबर 2014 को ले लिया गया था इसलिए आरोपित व्यक्ति द्वारा वित्तीय वर्ष 2012-13 से 2015-16 तक 6 नवंबर 2012 से 31 दिसंबर 2015 तक वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाना स्वयं संदेहास्पद होकर झूठा साबित हो जाता है। चूंकि सोसाइटी सिसरिंगा का ऑडिट नहीं कराया गया है जबकि संपरीक्षा की जिम्मेदारी प्रस्तुतकर्ता अधिकारी (प्राधिकृत अधिकारी आ.जा.सेवा सहकारी समिति मर्यादित सिसरिंगा) का है इसलिए बगैर संपरीक्षा कराये आरोपित व्यक्ति के विरूद्ध प्रस्तुत यह याचिका अपरिपक्त होने से प्रचलन योग्य न होकर सव्यय निरस्त किये जाने योग्य है। प्रकरण में आरोपी ने कथन किया है कि उसने अपने प्रभार काल में नियमानुसार छत्तीसगढ़ ग्रामीण बैंक धरमजयगढ़ शाखा के खाते से आहरण किया है। वैसे भी समिति के खाते का आहरण केवल प्रबंधक के हस्ताक्षर से नहीं होता है नियमानुसार अध्यक्ष और प्रबंधक के हस्ताक्षर होने पर ही आहरण होता है। आरोपी ने कथन किया है कि प्रस्तुतकर्ता अधिकारी द्वारा आरोपति व्यक्ति के विरूद्ध दुर्भावना रखते हुए अपने एवं पूर्व प्रबंधक शाखा राठिया तथा वर्तमान प्रभारी प्रबंधक सहदेव राय द्वारा किये गये वित्तीय अनियमिता को छुपाने के लिए झूठे एवं फर्जी दस्तावेज तैयार कर यह याचिका प्रस्तुत किया गया है। चूंकि प्रस्तुतकर्ता अधिकारी द्वारा फर्जी दस्तावेज तैयार कर आरोपित व्यक्ति के विरुद्ध षडयंत्र किया गया है जो कि भारतीय दंड संहिता की धारा 467, 468, 469. एवं 470 के तहत दण्डनीय अपराध की श्रेणी में आता है। इसलिए प्रकरण के साथ प्रस्तुत दस्तावेज क्रमांक 01. 02 एवं 03 के हस्ताक्षर के संबंध में हस्तलिपी विशेषज्ञ का प्रतिवेदन लिया जाना आवश्यक है। प्रकरण में आरोपी ने बताया है कि चूंकि वर्तमान में प्रस्तुतकर्ता अधिकारी प्राधिकृत अधिकारी भी नहीं है तथा संस्था का संपरीक्षा (ऑडीट) नहीं होने से प्रकरण प्रचलनशील नहीं है। प्रकरण में आरोपी द्वारा प्रस्तुत जवाब में अनियमित राशि आहरण के संबंध में जवाब प्रस्तुत नहीं है। इस कारण से सुनवाई पश्चात छत्तीसगढ़ सहकारी सोसाइटी अधिनियम 1960 की 58(बी) (1) के अंतर्गत आर. के. आयाम व.स.नि. एवं एम एल अनंत स.वि.अ. सारंगढ़ को जांच अधिकारी नियूक्त किया। उक्त जांच दल द्वारा जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत नहीं किया गया है। प्रकरण में18 मई 2016 की नियत की गई तारीख में प्रस्तुतकर्ता अधिकारी ने निवेदन किया है कि चूंकि आरोपी द्वारा प्रथम दण्डया सोसाइटी सोसाइटी को भारी आर्थिक हानि पहुंचाया गया है इसलिए छत्तीसगढ़ सहकारी सोसाइटी अधिनियम 1960 की धारा 58 (ख) (5) के अंतर्गत आरोपी के विरूद्ध सोसाइटी के हित में कुर्की की कार्यवाही की जाये। प्रकरण में प्रस्तुतकर्ता अधिकारी के निवेदन के परिप्रेक्ष्य में प्रकरण में प्रस्तुत दस्तावेजों के अध्ययन से यह तथ्य स्पष्ट हो रहा है कि प्रस्तुतकर्ता अधिकारी व्ही. के. मेहरा द्वारा प्रस्तुत आरोप पत्र में आरोपी निसार अहमद खान प्रभारी प्रबंधक, सह डाटा एन्ट्री ऑपरेटर आदिम जाति सेवा सहकारी समिति मर्यादित सिसरिंगा से राशि रूपये 3568500 का आहरण किया है जो अनियमिता ही इसके संबंध में आरोपी द्वारा अपने जवाब में यह तो बताया है कि अध्यक्ष और प्रबंधक के संयुक्त हस्ताक्षर से राशि का आहरण होता है किन्तु यह नहीं बताया गया है आहरित राशि का उपयोग सोसाइटी के सही मद में खर्च किया गया है अथवा नहीं। न्यायालय के संज्ञान में यह भी तथ्य प्राप्त हुआ है कि एक शिकायत जिसका जांच आर.एस.आर.भगत स.वि.अ. धरमजयगढ़, के आर. देवांगन उप अंके./स.वि.अ. घरघोड़ा एवं विजय मेहरा पर्यवेक्षक अपेक्स बैंक रायगढ़ तीनों अधिकारियों द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था जिसमें राशि 9 लाख 23 हजार रूपये का अनियमित आहरण पाया गया है, जिसमें आरोपी को पद से हटाया गया है। इससे स्पष्ट है कि आरोपी वित्तीय अनियमितता करने का आदि है। इसलिए यह आवश्यक हो गया है कि प्रकरण के अंतिम निराकरण तक छत्तीसगढ़ सहकारी सोसाइटी अधिनियम 1960 की धारा 58 (ख) (5) के अंतर्गत आरोपी के विरूद्ध कुर्की का आदेश दे दिया जाये। अतएव उपरोक्त कारणों से मैं बसत कुमार उप पंजीयक, सहकारी संस्थाएं रायगढ़ (छ.ग.) सहकारी सोसाइटी अधिनियम 1960 की धारा 58(ख) 5) के अंतर्गत प्रकरण में प्रस्तुत ओरोपी निसार अहमद खान प्रभारी प्रबंधक आदिम जाति सेवा सहकारी समिति मर्यादित सिसरिंगा का अथवा उसके परिवार के सदस्य के नाम से जिसमें निरसर अहमद खान की संपत्ति निहीत है, को सशर्त कुर्क कर लिया जावे तथा प्रकरण में अंतिम निराकरण में आदेशानुसार आगे की कार्यवाही संपादित किया जाये। प्रकरण में यह भी तथ्य प्रकाश में आया है कि समस्त राशि का आहरण अध्यक्ष एवं प्रबंधक के संयुक्त हस्ताक्षर से किया गया है इसलिए न्यायालय के आदेश क्रमांक/उपरा/साथ/ 2016/408 रायगढ़ दिनांक 20 अप्रैल 2016 के द्वारा छत्तीसगढ़ सोसाइटी अधिनियम 1960 की धारा (बी) (1) के अंतर्गत प्रकरण के जांच हेतु जो जांचदल आर. के. आयाम व.स.नि. एवं एम.एल अनंत स.वि.अ.) बताया गया है, को निर्देशित किया जाता है कि प्रकरण में तद्समय के अध्यक्ष आदिम जाति सेवा सहकारी समिति मर्यादित सिसरिंगा की भूमिका का भी जांच करेंगे। अब सवाल उठता है कि फर्जीवाड़ा करने वाला तात्कालीन प्रबंधक पर दोष सिद्ध होने के बाद भी कार्यवाही क्यों नहीं हो रहा है?