जोहार छत्तीसगढ़ – बेमेतरा।
वृक्षारोपण के प्रति धीरे धीरे लोगों में जागरूकता बढ़ रही है, यह सकारात्मक बदलाव पर्यावरण और मानव जीवन के लिए उत्तम है आज शासन- प्रशासन के साथ साथ बहुत सी संस्थाओं और व्यक्तिगत रूप से वृक्षारोपण का कार्य किया जा रहा है और उन पौधों के देखभाल के लिए भी उत्साहित हैं परन्तु सिंगल यूज प्लास्टिक पर नियंत्रण की आवश्यकता है क्योंकि सिंगल यूज प्लास्टिक मानव जीवन के लिए खतरनाक है। प्लास्टिक की बनी हुई वे तमाम वस्तुएं जो एक बार उपयोग करने के बाद फेंक दी जाती है, यही प्लास्टिक सिंगल यूज प्लास्टिक कहलाती है आज बहुत से लोग जब सब्जी या किराना सामान खरीदने बाजार जाते हैं तो वह कपड़े का थैला पकड़ना भूल जाता है या जरूरी नहीं समझता क्योंकि उसे ये पता है कि बाजार में सब्जी या सामना प्लास्टिक की थैलियों में मिल जाएगा। यही सोच कर अधिकतर लोग सब्जी वाले से पॉलीथिन की मांग करते हैं और वह पॉलीथिन आखिरकार फेंक दिया जाता है, वह धीरे-धीरे बहुत बड़े खतरनाक कचड़े के रूप में धरती पर जमा हो रहा है, जरा सोचिए भारत में आज कुल परिवारों की संख्या 2011 के जनगणना के अनुसार एक सौ पच्चीस करोड़ से अधिक है प्रतिदिन यदि प्रत्येक परिवार से औसतन एक पॉलीथिन फेंकी जाती है तो प्रतिदिन जमीन में करोड़ों की संख्या में पॉलीथिन जमा हो रहा है और यह नहीं सड़ने वाला कचड़ा जमीन पर सदैव के लिए जमा हो जाता है। की इसी तरह सभी प्रकार की सिंगल यूज प्लास्टिक की वस्तुएं भी हैं जैसे डिस्पोजल, स्ट्रा, प्लास्टिक बैग, चम्मच आदि प्लास्टिक जहां पर्यावरण को प्रदूषित करने के साथ-साथ भूजल को भी प्रदूषित करता है। इससे जलीय और थलीय दोनों प्रकार जीवों की जान को खतरा है। अक्सर शहरों में गाय, पॉलिथीन को खा जाते हैं। इस तरह यह सिंगल यूज प्लास्टिक सभी के लिए खतरनाक है। वैसे 2022 में सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया गया था परन्तु इसका पूर्णतः पालन नहीं हो रहा है क्योंकि आम लोगों में जागरूकता की कमी के कारण सरकार के द्वारा लगाएं गए प्रतिबंधों का पालन नहीं हो पा रहा है इसलिए आम लोगों में सिंगल यूज प्लास्टिक के दुष्प्रभाव एवं हानि के प्रति जागरूकता की अति आवश्यकता है, ताकि सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्पों की ओर बढ़ा जा सके। यह पर्यावरण एवं मानव जीवन के लिए खतरनाक है ।