जोहार छत्तीसगढ़-रायगढ़।
रायगढ़ सहित प्रदेश की पहचान गरिमामय चक्रधर समारोह का यह 39वां वर्ष था। इस वर्ष 7 पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित हुए कलाकारों की उपस्थिति इस आयोजन की भव्यता को दर्शाती है। रायगढ़ के गौरव राजा चक्रधर सिंह की स्मृति में इस समारोह का आयोजन किया जाता है। उन्हीं के प्रयासों और कला के प्रति उनके प्रेम के कारण रायगढ़ को कला नगरी कहा जाता है। देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी कलाकार यहां अपनी प्रस्तुति देने को उत्सुक रहते हैं। यह आयोजन जितना भव्य होता है उतना प्रतिष्ठित भी है। परंतु फिर भी कुछ तथाकथित लोगों का स्वार्थ और कुछ चाटुकारों की आदत के कारण यह आयोजन विवादों के घेरे में आ जाता है। और वह विवाद है उद्घोषक का। कई बार और कई तरह से अनेकों बुद्धिजीवियों द्वारा ध्यानाकर्षण कराया गया पर न जाने क्यों इस पर न कभी प्रशासन ने और न ही किसी समिति ने इसे गंभीरता से लिया। इन तथाकथित विद्वान उद्घोषकों के द्वारा इस बार भी हमेशा की तरह अपने घिसे-पीटे, सालों पहले लिखे हुए दस्तावेजों की पोटली खोली और पढ़ते रहे। उन्हें लगता है कोई सुनता नहीं पर शायद उन्हें नहीं पता कि ये पब्लिक है सब जानती है। दरअसल ये कुछ अधिकारियों, पत्रकारों की चमचागिरी करके उनके आश्रय में अपनी मनमानी करते हैं। मुख्य उद्घोषक तो मंच को अपनी बपौती ही मान बैठते है, और उनके साथ उनके चमचे उनकी हां में हां मिलाकर अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं। तीनो मंच संचालकों को न तो मंच की गरिमा से मतलब है न ही और किसी से। उनको मतलब है तो सिर्फ अधिकारियों से, पत्रकारों से जान पहचान बनाकर अपनी वाहवाही करने एवम अपना काम निकालने से है। महिला उद्घोषक जो कई सालों से मुख्य उद्घोषक की विशेष कृपादृष्टि के कारण मंच पर सुशोभित रहती है आज तक न उसकी हिंदी शुद्ध हो पाई है न छत्तीसगढ़ी। उसका मुख्य काम बस फोटो खिंचवाना, मुख्य उद्घोषक द्वारा दिए गए पन्ने का अशुद्ध पाठन करना एवम अधिकारियों और पत्रकारों को चापलूसी द्वारा अपनी ओर आकर्षित करना ही है। पर महिला समझती है कि जनता बेवकूफ है और चमचागिरी के दम पर कुछ भी किया जा सकता है। तीनो मंच संचालकों को लगता है कि समारोह का मंच इनकी बपौती है। इन्ही चमचों के कारण आज तक नई प्रतिभाओं को मौका नहीं मिल पाता। अफसर भी इनकी मंशा को नहीं समझते या शायद समझना नहीं चाहते। इस बार के समारोह के अंतिम दिन की स्थिति यह हो गई कि तथाकथित अनुभवी उद्घोषकों से माइक छीनकर सीईओ जिला पंचायत को मंच संचालन करना पड़ा। कभी गलत उद्घोषणा, कभी कार्यक्रम समाप्ति के पूर्व पर्दा गिराना,कभी अतिथि कलाकारों से दुव्र्यवहार करना, कभी प्रोटोकॉल तोड़कर केंद्रीय मंत्री के आसन पर शान से बैठना ऐसे ही और कई तरह के अनुशासनहीन कार्य हर रोज देखे गए। पर हाय री इन्हे मंच प्रदान करने वाले लोग, फिर भी इनकी मनमानी चलने देते हैं। प्रशासन और चयन समिति से करबद्ध निवेदन है कि इस ओर गंभीरता से विचार करें और चक्रधर समारोह की गरिमा को ध्यान में रखते हुए योग्य उद्घोषकों का चयन करें।