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वन महोत्सव सिर्फ शासकीय राशि का दुरूपयोग? … हर साल लगाते है लाखों पौधे फिर भी जंगल नहीं बन पा रहे … आखिर जिम्मेदार कौन?

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जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़।

वन महोत्सव भारत सरकार द्वारा वृक्षारोपण को प्रोत्साहन देने के लिए प्रति वर्ष जुलाई के प्रथम सप्ताह में आयोजित किया जाने वाला एक महोत्सव है। यह 1950 के दशक में पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक परिवेश के प्रति संवेदनशीलता को अभिव्यक्त करने वाला एक आंदोलन था। तत्कालीन कृषि मंत्री केएम मुंशी ने इसका सूत्रपात किया। धरमजयगढ़ वन मंडल में हर साल हजारों नहीं लाखों की संख्या में वृक्षारोपण किया जाता है। जनप्रतिनिधियों को बुलाकर वन महोत्सव में मनाया जाता है, और मुख्य अतिथियों के हाथों वृक्षारोपण करवाया जाता है यहा सिलसिला हर साल किया जाता है लेकिन वन महोत्सव के तहत किये गये वृक्षारोपण का 1 प्रतिशत पौधा जीवित नहीं रहता है सिर्फ नेताओं को खुश करने के लिए और अपना जेब भरने का महोत्सव बन कर रहा जाता है वन महोत्सव? हम किसी पर आरोप नहीं लगा रहे हैं ये हकीकत है। आप खुद सोचकर देखिए की एक स्कूल में बच्चों द्वारा 8-10 पौधा रोपण किया जाता है उसमें से 5-7 पौधा कुछ ही दिन में पेड़ का रूप ले लेते हैं लेकिन वन विभाग द्वारा हर साल जुलाई माह में वन महोत्सव मनाया जाता है और इस महोत्सव के तहत लाखों-लाखों वृक्षारोपण किया जाता है बड़े ही धूमधाम से मगर उनका 1 प्रतिशत वृक्ष भी जीवित नहीं रहता है सोचने वाली बात है। अगर वन विभाग द्वारा कराए जाने वाले वृक्षारोपण का 5 प्रतिशत पौंधा अगर पेड़ का रूप ले ले तो जंगल ही जंगल का भरमार बन जाता लेकिन लाखों पौधा लगाने के बाद भी जंगल बनने का नाम नहीं ले रहा है, और लाखों रूपये खर्च कर लाखों पौधा लगाने के बाद भी एक भी पौधा पेड़ का रूप नहीं ले सकता तो ऐसा वन महोत्सव का मतलब क्या है?

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