जोहार छत्तीसगढ़-बलौदाबाजार।
भवन निर्माण में बड़े पैमाने पर अनियमितता बरती गयी। यहां न सिर्फ निर्माण कार्य में मनमानी की गयी है। बल्कि कार्यस्थल से ठेकेदार, इंजीनियर सब गायब रहे। मिस्त्री व मजदूर के भरोसे भवन का निर्माण किया गया। बैगर इंजीनियर की उपस्थिति में पिलर और बीम की ढलाई की जा रही है। इतना ही नहीं निर्माण कार्य में मानकों का भी पालन नहीं किया जा रहा है। यहां निर्माण में घटिया सामग्री के इस्तेमाल का भी आरोप लगाया जा रहा है। इसको देखने वाला भी कोई नहीं था। आश्चर्य की बात तो यह है कि ठेकेदार की ओर से मुंशी के रूप में जिन्हें रखा गया था उन्हें तो काम के बारे में कुछ जानकारी ही नहीं रही। स्कूल निर्माण के दौरान पहले काम शुरू हुआ है, लेकिन अब तक योजना से संबंधित बोर्ड तक नहीं लगाया गया है। किस विभाग से कितनी लागत से काम हो रहा है और भवन कौन सा बन रहा है, इसकी कोई जानकारी यहां उपलब्ध नहीं है।
जानिए मामला
स्कूल भवन बनाते समय ही इसके निर्माण में मानक का ध्यान न रखना और भ्रष्टाचार से एक ही साल में भवन की दीवारें दरकने लगी। प्लास्टर टूटने लगा हालात इतने खराब हुए कि एक कमरा को खाली ही कर दिया गया। उसे कूड़ा घर बना दिया एक साल के अंदर इस स्कूल भवन की रंगाई पुताई तक नहीं कराई जा सकी। बलौदाबाजार भाटापारा जिले के विकासखंड के तुरमा ग्राम पंचायत स्थित उच्च विद्यालय भवन का निर्माण एक वर्ष पहले हुआ है। एक साल में ही वह खंडहर होने जैसा लग रहा है। अब तो हालात और भी खराब हो चुके हैं। दूर से खंडहर प्रतीत हो रहे स्कूल भवन में पांच कमरे से अधिक हैं। विद्यालय में एक कमरा की दीवार व छत में बड़ी-बड़ी दरारों के कारण उसमें बच्चों को बैठाना बंद कर दिया गया है, लेकिन इसकी वजह से अन्य कमरों में बैठे बच्चों की जान जोखिम में रहती है। नवीन भवन का यह एक कमरा पूरी तरह से निष्प्रयोज्य होने जैसा प्रतीत हो रहा है।
पहले ही उठे थे सवाल
इस भवन निर्माणकाल के दौरान ही इसकी गुणवत्ता पर सवाल उठे थे। ग्राम पंचायत के पदाधिकारी एवं ग्रामीणों के शिकायतों पर अधिकारी व तकनीकी अधिकारी पर्दा डालते रहे। सुविधा शुल्क लेकर रिपोर्ट निर्माणकर्ता के पक्ष में ही लगा दी गई। जिसका नतीजा यह हुआ कि आज कमरा तो पूरी तरह से निष्प्रयोज्य हो ही चुका है जबकि अन्य कमरे व भवन भी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है। विद्यालय की स्थिति के बारे में बताया कि कमरा खतरनाक स्थिति में है। वर्तमान में इस कमरे को बंद रखने जैसा है। उसमें कूड़ा कबाड़ भर दिया गया है। ग्रामीणों ने बताया कि उसके रख रखाव आदि की कोई जिम्मेदारी उनके पास नहीं है। स्कूल भवन निर्माण के दौरान ग्रामीण शिकायतों में भ्रष्टाचार, भवन की स्थिति, निम्न गुणवत्ता वाली सामग्री का उपयोग करके काम करना और कई अन्य कमियां शामिल हैं। ठेकेदार द्वारा बार-बार शिक्षक को हैंडओवर लेलो करके बोला जाता था। जबकि शिक्षक का स्कूल भवन की स्थिति देखकर कोई इच्छा नहीं था। अब देखने वाली बात होंगी कि प्रशासन द्वारा बच्चों का कितना ध्यान रखा जाता है एवं उनकी सुरक्षा का कितना ऐतिहात बरतती है एवं अनियमिता बरतने वाले पर कितना कार्यवाही करती है।
* जांच के बाद सम्बंधितों पर नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी स्कूल में आवश्यकतानुसार पीजी राशि के उपयोग कर रिपेरिंग कराया जा सकता है।
एम एल नायक,पी डब्लू डी बलौदाबाजार