जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़।
धरमजयगढ़ विकास खण्ड के भालूपखना गांव में 8 मेगावॉट जल विद्युत परियोना का काम चल रहा है, धनवादा कंपनी द्वारा बड़े जोर शोर से कार्य को अंजाम दिया जा रहा है। और इस कार्य को अंजाम तक पहुंचाने में वन विभाग खुल कर कंपनी वालों का साथ दे रहे हैं, अब आप सोच रहे होंगे कि इसमें कंपनी और वन विभाग गलत क्या कर रहे हैं? हम आपको बता दे कि भालूपखना गांव में निर्मित हो रहे जल विद्युत परियोना में शासन के नियम कानून का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। कंपनी द्वारा अब तक करोड़ों रूपये खर्च कर चूकें हैं लेकिन वन विभाग से अनुमति लिए बिना ही राजस्व वन भूमि की जमीन पर निर्माण कार्य कंपनी द्वारा कराया जा रहा है, और स्थानीय प्रशासन एवं वन विभाग मुखदर्शक बनकर तमाशा देख रहे हैं।
इस परियोजना में अब तक सैकड़ों वृक्ष को कांटकर दफना दिये हैं इसकी भी जानकारी वन विभाग और स्थानीय राजस्व विभाग को होने के बाद भी किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की गई है। राजस्व वन भूमि में किसी भी प्रकार की कोई अनुमति बिना कोई भी कार्य नहीं किया जा सकता, लेकिन धनवादा कंपनी के लिए शासन का ऐसा कोई भी नियम कानून शायद धरमजयगढ़ में लागू नहीं होता है इसलिए तो बिना अनुमति से लंबे समय से राजस्व वन भूमि पर निर्माण कार्य किया जा रहा है।
मजेदार बात है कि वन विभाग से इस संबंध में जानकारी लेने पर राजस्व वन भूमि और वन भूमि नहीं होना बताया जाता है जबकि इनके पास किस मद की भूमि इस परियोजना में आ रहे हैं इसकी पूरी जानकारी होती है इनके बाद भी आंख बंद कर कांपनी वालों को काम करने देना लोगों के समझ से परे हैं आखिर ऐसा क्यों?
इस परियोजना की शिकायत भारत सरकार से
बिना अनुमति के राजस्व भूमि पर धनवादा कंपनी द्वारा कराये जा रहे निर्माण कार्य की शिकायत मुख्यमंत्री से लेकर भारत सरकार से की जा रही है। हम आपको बता दे कि ऐसे कंपनी वालों की शिकायत स्थानीय प्रशासन व वन विभाग से करने पर इनके खिलाफ किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही इनके द्वारा नहीं किया जाता है बल्कि शिकायतकर्ता पर ही कई प्रश्न दाग दिया जाता है। जबकि इनको कांपनी द्वारा किये जा रहे अनियमितता की पूरी जानकारी होती है, धरमजयगढ़ क्षेत्र में तो बिना अनुमति के कंपनी वालों ने अब तक कितने हजार बड़े-बड़े ईमारती वृक्षों की बली दे दिये हैं, लेकिन स्थानीय प्रशासन को जानकारी होने के बाद भी चूप बैंठे हुए हैं।