Home छत्तीसगढ़ खुन की आंसु पी कर जीवन का सम्मान नहीं मिल पाया आदिवासी...

खुन की आंसु पी कर जीवन का सम्मान नहीं मिल पाया आदिवासी व सतनामी समाज के लोगों को जिम्मेदार लोग ही बन गए दलाल

316
0

जोहार छत्तीसगढ़-बेमेतरा।

सामाजिक सुधार एवं सामाजिक उत्थान में कई दशक पीछे उच्च शिक्षा,बेहतर बुनियादी सुविधाएं के लिए तरसते समाज के लोगों की पीड़ा को क्या वक्त करूं क्योंकि अपने लोग पड़े लिखे तो है किन्तु समाज को बढ़ाने में मदद कर दे ये उनके जहन और उनके मन में भी नहीं सबसे पहले हमें अपने लोगों ने ही तिरस्कार व प्रताडऩा कर अपने आप को बेहतर साबित कर आर्थिक हालात सुधरते ही समाज के प्रति द्वेष पूर्ण व्यवहार शुरू कर दिया जाता है नतिजन ग्रामीणांचलों में निवासरत समाज के लोग अपने ही समाज के लोगों के अपमान को सहन करता है। चाहे व बड़े पद पर बैठे हो या फि र समाज का मुखिया बन समाज का नेतृत्व करने का ढोंग कर समाज के लोगों के प्रति दलाली करके अपनी वर्चस्व स्थापित करने में ही अपनी जीवन यात्रा निकाल देते हैं और मृत्यु के कामगार तथा पद और सत्ता से उखाड़ फेंके जाने के बाद समाज के वहीं गरीब लोगों के बीच पहुंचकर अपनी सामाजिकता की बात करके मरते दम तक समाज को भजाने का काम करते हैं ना समाज के प्रति सहानुभूति रहता है नाही समाज के बच्चों, युवाओं, महिलाओं को शिक्षा और संगठित रहने की बात नहीं करते बल्कि फू ट डालकर राजनीतिक रोटियां सेंकने लगते हैं यही सच्चाई है। और जब सच्चाई लिखा जाता है तो उसको इस तरह के दलाल किस्म के लोगों पचा नहीं सकते। चंद मुठ्ठी भर लोगों के तलवे चाटने में लगे समाज के गब्दारों की करो नो एंट्री सामाजिक नेतृत्व करने का झूठी आश्वासन देकर समाज के लोगों को ठगने वाले समाज के दलाल और गद्दार किस्म के लोगों को करें नो एंट्री, सत्ता की परीक्षा की घड़ी जब आती है तो आप उनके रिश्तेदारो में आते हैं और सत्ता में पहुंचते ही ऐसे लोगों अपनी रंग दिखाना शुरू कर देते हैं। जब आपको कुछ भी समस्या होगी तो ऐसे लोग आपसे मिलेंगे नहीं बल्कि आपकी समस्या पर दलाली करेंगे आपको भनक भी नहीं लगने देंगे। और आपकी समस्या जमकर फ ायदा उठाएंगे साथ आपको उल्टा सलाह देंगे उनसे मिलना वो आपका काम को देख लेंगे वो भी उन चंद लोगों की नाम बतलाकर बैरंग वापस भेज देते हैं ऐसे लोग जो हमारे समाज को बढ़ते हुए नहीं देख सकते उनके पास समस्या का समाधान के लिए भेजते हैं ऐसे गब्दार जिनको अपना समझ समाज जी जान लगाकर नि:स्वार्थ भाव से काम किया उनकी समस्या वो स्वयं नहीं बल्कि समाज को बर्बाद करने वाले भला कैसे सुधारेंगे यह अपने आजादी के कई बरस बीत जाने के बावजूद भी आज तक के कार्यकाल में हमारे अपने समाज के लोगों ने देखा है की सत्ता में हमारे अपने समाज के सुरक्षित सीट पर बैठ तो जाते हैं परन्तु समास्या के समाधान के लिए उनके पास समय नहीं। जिनके चलते ना तो अपने बच्चों के भविष्य बन पाया और ना ही समाज के सुधार और ऐसे ही तलवे चाटते वाले लोगों के वजह से समाज गर्त की ओर समा रहा है उनके लिए जिम्मेदार हम आप सभी लोग हैं मुझे विश्वास है कि कुछ आप में से कुछ जिम्मेदार लोग हैं पढ़े.लिखे लोग हैं कुछ तो समझ होगी आपके अंदर यदि इतनी भी बातों से आपके आंख नहीं खुलती है तो आप एक मुर्दे इंसान हैं और एक पशु के समान है । समस्या उनकी है हमारे परिवार के लिए नहीं हमारे उपर होगा तो देख लेंगे,समाज के लठैत का भी करेंगे पतन अगली बारी उनकी ही होगी समाज में हो रहे अन्याय न अत्याचार को यह सोचकर हाथ में हाथ धरे मत बैठे रहो एक दिन ऐसा आयेगा पतन होगा तोय और तुम्हारी गर्दन पर तलवार लटक रही होगी उस दिन किसको गोहार लगाओ गे यह एक बड़ा सवाल समाज के उन लोगों के लिए है जिनका मानना है कि समस्या हमारे परिवार का नहीं है हमें क्या वो निपटें एक दिन उनका भी बारी आएगा जब कोई उनके लिए भी कोई नहीं आयेगा। घंमड का भी घर एक दिन खाली हो जाता है समय रहते स्वयं सुधरो और समाज के लोगों को भी जागरूक करो और चुपड़ी चुपड़ी बातों में आपको तथा समाज को सामाजिक भावना में बहकाकर आप से आपके अधिकारों का ग़लत इस्तेमाल करवाके आपको लुटने का काम करते हैं। सुधरो और गब्दार और समाज के चमचों को सुधारों तभी लठैत बचेंगे और आपका समाज सुधरेगा नहीं तो लोकतांत्रिक व्यवस्था में भी समाजिक परिवर्तन नहीं कर पायेंगे तो समझ लेना की गुलामी ज्यादा दूर नहीं है। अज्ञानता व समाजिक फूट के चलते विसाल समाज का नेतृत्व करने वाले चंद मुठ्ठी भर लोगों के हाथो में सौंपा वजह समाज के लोगों को आज तक होना पड़ रहा अपमानित जिसकी ज्यादा संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी यह एक सिर्फ नारा बनकर रह गया नतीजतन जो कह गए उनका समाज आज भी लोकतंत्र के लाईन में सबसे पीछे खड़ा है और उनका पूरा श्रेय समाज में आज तक चुनकर हमारे अपने सुरक्षित सीट पर सत्ता का सुख भोग रहे हैं।और समाज को प्रेम का बोल भी नहीं मिल पा रहा है।कारण अज्ञानता और फ ूट तथा राजनितिक नतिजन समाजिक आस्था एवं मानवता पर घातक प्रहार हो रहा है।इन सब के लिए समाज के हर वर्ग हर उम्र और सभी राजनितिक पार्टी के वे लोग जिनको लगता है की हमारे लिए हमारी पार्टी ठीक है समाज भले डूब जाए। तो ऐसे सोच रखने वाले लोगों के साथ भी वही होगा चाहे वह जिस भी समाज का होगा उनका भी पतन बहुत ही जल्द होगा। सवाल जब समाज की आन बान और शान पर उठे तो एक रूपता स्पष्ट दिखाई देना चाहिए ये आग्रह आज से है । नहीं तो हमारे समाज के भावी पीढ़ी आपकी फ ोटो की पूजा करने के बजाय सुबह शाम गालीया की बौछार करें । यही चाहते हो और अन्याय झेलना चाहते हैं तो आपका जीवित रहने का कोई अधिकार नहीं है। सुरक्षित विधानसभा में सुरक्षित नहीं समाज के लोग दिगर समाज के नेतृत्व के भरोसे आखिर कब तक चलेगी समाज की भाग दौड़ विशाल समाज के नेतृत्व करने के लिए समाज के ही गला काटने वालों के हाथों में नेतृत्व करने का जिम्मा और अपने ही सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र में न्याय व सम्मान पाने भीख भी नहीं होती नसीब और सत्ता का सुख और राज करने चंद मुठ्ठी भर लोगों को सौंप दिया जाता है और अपने लोग उन्हें के तलवे चाटने के चक्कर में गरीब तबके के लोगों के वजह से आज भी न्याय पाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं और जिस उम्मीद और मकसद से जिनको मुखिया बनाया गया और सत्ता में बिठाया गया वे बात भी करना पसंद नहीं करते समाज से इतना घृणा के बावजूद भी आखिरकार ऐसे लोगों को क्यों सत्ता में बिठाएंगे या एक बड़ा सवाल है आप भी एक यदि जिम्मेदार लोग हैं समाज के नेतृत्व करने की समर्थ है और समाज को अच्छी दिशा में ले जाना चाहते हैं तो अपनी सहभागिता निभाएं और ऐसे लोगों को नो एंट्री करें जो समाज के गला काटने वाले दिगर समाज के लोगों को लेकर के चल रहे हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here