जोहार छत्तीसगढ़ – रायपुर।
2010 में मूवी आई थी पीपली लाइव। इसमें एक किसान, जो आत्महत्या करना चाहता था, ताकि उसके परिवार को एक लाख रुपए मिले। इसमें एक सवाल बार-बार मीडिया में आता था कि नत्था मरेगा या नहीं मरेगा। छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक सवाल लंबे समय से बना हुआ है, भाजपा किसानों के लिए क्या देगी? क्या धान का समर्थन मूल्य कांग्रेस से ज्यादा देगी? नहीं देगी तो चुनाव मैदान में किन मुद्दों को लेकर उतरेगी? कुछ-कुछ जवाब मिलने लगा था, जब पीएम नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, असम के सीएम हेमंत बिस्वशर्मा जैसे नेता बिरनपुर की लिंचिंग, नक्सलियों द्वारा भाजपा नेताओं की टार्गेट किलिआईटी की कार्रवाइयों में भ्रष्टाचार के मुद्दे को उठा रहे थे। इन मुद्दों की लहर तो नहीं, लेकिन एक हवा बन रही थी। सीएम भूपेश बघेल ने सक्ती में कर्ज माफी का ऐलान कर इन मुद्दों की ही “हवा’ निकाल दी।इसके बाद चुनाव फिर किसान केंद्रित हो गया है। अब लोगों में इस बात की चर्चा है कि भाजपा के पास कर्ज माफी और समर्थन मूल्य का क्या काट है। पांच साल पहले हुए चुनाव की ओर देखें तो उस समय कर्ज माफी और 2500 रुपए समर्थन मूल्य देने का वादा काफी प्रभावी रहा। भाजपा की 15 साल की सरकार के खिलाफ एंटी इन्कमबेंसी थी। ऐसे समय में कर्ज माफी और 2500 रुपए धान की कीमत के फैसले से भाजपा के खिलाफ जमकर वोट पड़े, क्योंकि भाजपा यह ऐलान नहीं कर पाई थी। यह अलग बात है कि कुछ लोग यह कहने से नहीं चूकते कि यदि कर्ज माफी और समर्थन मूल्य का असर दिखा, तब धान किसानों वाले जांजगीर या धमतरी में परिणाम कांग्रेस के खिलाफ कैसे आए? इनके तर्क जो भी हों, लेकिन किसानों का मुद्दा ऐसा है, जिस पर खुलकर बोलने या ऐलान करने से भाजपा भी बचती है। भाजपा प्रभारी ओमप्रकाश माथुर ने मीडिया से संवाद के दौरान सिर्फ इतना ही कहा था कि वे कांग्रेस से कुछ बेहतर ही करेंगे। हालांकि अभी तक भाजपा ने कुछ किया नहीं, या कह सकते हैं कि किसी रणनीति के तहत उस समय का इंतजार कर रहे हों, जब वे भी कुछ बड़ा ऐलान करें।छत्तीसगढ़ में पहले चरण के मतदान को लेकर अब दस दिन ही बचे हैं, लेकिन चुनावी माहौल की बात करें तो अभी तक वह रुझान नहीं दिख रहा, िजससे कहें कि चुनावी गरमी आ गई है। दूसरे चरण में जहां चुनाव होने हैं, वहां प्रत्याशियों के नामांकन का दौर चल रहा है. अब यह माना जा रहा है कि पहले चरण का मतदान होने के बाद ही दूसरे चरण में माहौल गरमाएगा। हालांकि घोषणा पत्र का ऐलान इससे पहले ही करना होगा, जिससे बस्तर, राजनांदगांव और कवर्धा के मतदाताओं को दोनों दल यह बता सकें कि चुनाव में वे उनके लिए क्या करेंगे? इस दौरान संभवत: कांग्रेस और भाजपा दोनों ही अपने वादों और घोषणाओं का पिटारा खोलेगी? अब तक जो रुझान है, उसके मुताबिक चुनावी घोषणाएं किसानों पर ही केंद्रित होने वाली है।
5 साल किसानों पर केंद्रित
छत्तीसगढ़ में 15 साल की भाजपा सरकार की हार के बाद जब कांग्रेस की सरकार आई, तब पहला फैसला ही किसानों की कर्ज माफी का था। यह अलग बहस का मुद्दा है कि जब कर्ज माफी हो गई तो नए सिरे से ऐलान करने का क्या जरूरत… लेकिन इन पांच सालों में समर्थन मूल्य से लेकर न्याय योजनाओं तक सरकार का कामकाज किसानों के आसपास ही केंद्रित रहा.।इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े काम कम हुए। जाहिर है कि अब तक चुनाव होने हैं, तब मुद्दे भी किसानों पर ही केंद्रित होंगे। इसके लिए माहौल धीरे-धीरे बनता जा रहा है।
इधर, विकास का रॉकेट…
इस बीच जब कर्ज माफी का ऐलान होने के बाद अचानक हवा का रुख बदला तो भाजपा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इसमें एक युवक पटाखा जला रहा है, जो नहीं फटता. वहीं से दूसरा युवक गुजर रहा है, जिसके हाथ में रॉकेट है. वह युवक दूसरे को बाेलता है कि भाजपा के विकास का रॉकेट आने वाला है. इससे यह उम्मीद की जा रही है कि भाजपा कुछ बड़ा ऐलान करने वाली है. इसका इंतजार लोगों को भी है।