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विधानसभा में कौन किस पर भारी, क्या भाजपा का कमल फिर खिलेगा लैलूंगा में?

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जोहार छत्तीसगढ़-लैलूंगा। छत्तीसगढ़ में चुनावी बिगुल बज चुका है, रायगढ़ जिले में 17 नंवबर को चुनाव होना है, भाजपा 85 सीट पर उम्मीदवार घोषित कर दिया है, कांग्रेस आज प्रत्याशियों की लिस्ट जारी कर सकते हैं। भाजपा ने लैलूंगा सीट से पूर्व संसदीय सचिव सुनीति राठिया को प्रत्याशी बनाया है, तो वहीं कांग्रेस में टिकट को लेकर घमासान मचा हुआ है। लैलूंगा सीट से कांगे्रस के कई दिग्गजों ने टिकट की मांग की है, लेकिन वर्तमान विधायक चक्रधर सिदार और पूर्व विधायक ह्दयराम राठिया के बीच टिकट को लेकर घमासान मचा हुआ है पार्टी हाईकामन इन दो नामों पर विचार करेगी। आज साफ हो जायेगा कि किसका टिकट कटा किसको टिकट मिला। अब देखते हैं कि सुनीति राठिया, चक्रधर सिंह सिदार और ह्दयराम राठिया में कौन किस पर भारी है इस विधानसभा में कौन अपनी पार्टी की नैया पार कर सकते हैं, छत्तीसगढ़ बनने के बाद से अगर हम इस विधानसभा पर नजर दौडय़े तो साफ नजर आता है कि इस विधानसभा में कोई भी दो बार जीत कर नहीं आये हैं। 2003 की चुनाव में भाजपा के सत्यानंद राठिया, 2008 में कांग्रेस के ह्दयराम राठिया फिर 2013 में भाजपा के सुनीति राठिया उसके बाद 2018 के चुनाव में एक बार फिर परिवर्तन करते हुए कांगे्रस के चक्रधर सिंह सिदार को क्षेत्र के जनता ने विधायक बनाया है। ये सिलसिला अगर जारी रहा तो लैलंूगा सीट में फिर एक बार सुनीति राठिया कमल खिला सकती है।

कौन किस पर पड़ेगा भारी

लैलूंगा सीट से भाजपा ने सुनीति राठिया को टिकट देकर अपना पत्ता खोल दिया है, सुनीति राठिया 2013 विधानसभा चुनाव में लैलूंगा क्षेत्र के गद्दावार आदिवासी नेता ह्दयराम राठिया को पराजय कर विधायक बनी थी रमन सरकार में सुनीति राठिया संसदीय सचिव रही है। सुनीति राठिया पूर्व मंत्री सत्यानंद राठिया की धर्मपत्नी है, सुनीति राठिया तेज तर्रार भाजप नेत्री है, इनके विधायकी कार्यकाल में इनके चमचेनुमा नेताओं ने क्षेत्र में खुब भ्रष्टाचार कर मालामाल हुए। जिसके कारण पार्टी ने 2018 के चुनाव में सुनीति राठिया का टिकट कांटकर उनके पति सत्यानंद राठिया को टिकट दिया था। लैलूंगा से सुनीति राठिया को टिकट मिलने से पार्टी कार्यकर्ताओं में भी खुशी दिखाई नहीं दे रही है, ऐसा लगता है कि लैलूंगा विधानसभा में इस परिवार के अलावा और कोई नेता चुनाव लडऩे लायक इनके पार्टी में है ही नहीं, क्योंकि हर चुनाव में पति-पत्नी को ही भाजपा टिकट दे रही है। भाजपा की इस नीति से कार्यकर्ता सहित क्षेत्र की जनता में भाजपा के प्रति काफी नारागी देखने को मिल रही है। हम आपको बता दे कि ये वहीं सुनीति राठिया है जो क्षेत्र कि समस्या को बताने वाले पत्रकारों को मारने पीटने की धमकी तक देती थी। अब हम बात करते हैं वर्तमान विधायक की वर्तमान कांग्रेसी विधायक चक्रधर सिंह सिदार सीधे स्वभाव एवं सरल आदिवासी नेता है, इनका सरलता का नाजायज फायदा इनके छुटभइया नेताओं नें खुब उठया जिसके चलते आज क्षेत्र में विधायक चक्रधर सिंह सिदार का खुब विरोध हो रही है, क्षेत्र की जनता विधायक चक्रधर सिदार को टिकट न देने की मांग कर रहे हैं। ईसाई सामुदाय ने तो पत्र लिखकर विधायक चक्रधर सिंह सिदार का विरोध कर रहे हैं और विधायक सिदार पर कई आरोप लगा रहे हैं, इस 5 साल में लैलूंगा विधानसभा में विकास न के बराबर हुआ है। विधायक पर लोग भ्रष्टाचार का भी आरोप लगा रहे हैं जब क्षेत्र की जनता ही चक्रधर सिदार को टिकट ना देने की मांग कर रहे हैं तो कांग्रेस पार्टी को इस मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए और एक जीताऊ प्रत्याशी को टिकट देना चाहिए नहीं तो कांग्रेस के हाथ से लैलूंगा सीट खिसकना लगभग तैय है। कांग्रेस पार्टी से टिकट की मांग कर रहे लैलूंगा क्षेत्र के कद्दावार आदिवासी नेता ह्दयराम राठिया की बात करें तो ह्दयराम राठिया 2008 के चुनाव में भाजपा शासन में मंत्री रहे सुनीति राठिया के पति सत्यानंद राठिया को भारी मतों से पराजय कर विधायक बने थे, विधायक ह्दयराम राठिया को उत्कृष्ट विधायक का सम्मान दिया गया था, ह्दय राम राठिया की पकड़ क्षेत्र में बहुत अधिक है, 2018 के चुनाव में ह्दयराम राठिया जोगी कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़े थे लेकिन एक बार फिर घर वापसी करते हुए कांगे्रस पार्टी में वापसी किया है, घर वापसी करने के बाद से ही पूर्व विधायक ह्दयराम राठिया क्षेत्र में सक्रिय हो गये हैं और कांग्रेस पार्टी से लैलंूगा विधानसभा से टिकट की मांग किये हैं, क्षेत्र की जनता की मांग भी है कि लैलूंगा विधानसभा से कांग्रेस एक बार फिर ह्दयराम राठिया को टिकट देकर प्रत्याशी बनाये और लैलूंगा का प्रतिनिधित्व करने का मौका दे, लैलूंगा में एक तरफ विधायक चक्रधर सिंह सिदार का जोरदार विरोध, दूसरी और भाजपा अपरजय प्रत्याशी को टिकट देकर चक्रधर की मुश्किल बड़ा दिया है, सुनीति राठिया अब तक एक भी चुनाव नहीं हारी है। हां एक बात तो साफ है कि अगर कांग्रेस टिकट में परिवर्तन नहीं करता है और वर्तमान विधायक चक्रधर सिंह सिदार को टिकट देता है तो भाजपा कांग्रेस पर भारी पड़ेगी और भाजपा का कमल एक बार फिर लैलूंगा में खिलेगा। वहीं कांग्रेस अगर सिटिंग एमएलए का टिकट काट कर पूर्व विधायक ह्दयराम राठिया को प्रत्याशी बनता है तो लैलूंगा सीट में भाजपा को जीत हासिल करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि ह्दयराम राठिया को विधानसभा क्षेत्र की जनता बहुत अधिक पंसद करते हैं और क्षेत्रवासियों की मांग भी है कि कांग्रेस पार्टी एक ऐसे कद्दावार नेता को टिकट दे जो भाजपा को कड़ी टक्कर दे और जीत हासिल कर सकें। ऐसे में देखा जा रहा है कि लैलूंगा विधानसभा में ह्दयराम राठिया इन सब पर भारी है।

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