जोहार छत्तीसगढ़ धरमजयगढ़।
विधानसभा चुनाव अब कुछ ही दिन बचा है, कभी भी आचार सिहंता लग सकता है। मुख्य दोनों पार्टी जोर लगाना शुरू कर दिया है। कांगे्रस फिर से सरकार बनाने की जुगाड़ में भीड़ा है तो वहीं भाजपा फिर सत्ता में काबिज होने की कोशिश कर रही है। भाजपा किसी भी हाल में सरकार बनाने में जूट गई है। जिस कारण भाजपा 21 सीटों में अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है ताकि नाखुश कार्यकर्ताओ को मना सकें। लेकिन धरमजयगगढ़ विधानसभा में कुछ और ही दिख रहे हैं। घरघोड़ा क्षेत्र के दिग्गज आदिवासी नेता राधेश्यम को इसबार भी भाजपा अपना उम्मीदवार नहीं बनाया जिसके कारण राधेश्यम पार्टी से नाराज चल रहे हैं। लेकिन मजेदार बात है कि घरघोड़ा क्षेत्र में जिला महामंत्री, मंत्री, जिला उपाध्यक्ष एवं अल्प संख्यक प्रदेश अध्यक्ष होने के बाद भी घरघोड़ा क्षेत्र भाजपा के लिए संकट पैदा कर सकता है। बताया जा रहा है कि भाजपा जिला महामंत्री द्वारा राधेश्यम राठिया को अनदेखा किया जा रहा है। राधेश्यम राठिया घरघोड़ा क्षेत्र का एक नामी भाजपा नेता है और इस तरह एक दिग्गज नेता का अनदेख करना भाजपा को कितना महंगा पड़ेगा ये तो आने वाला समय में ही पता चलेगा। इससे तो एक बात साफ हो जाता है कि इसबार भी भाजपा की नैया को डूबाने में घरघोड़ा के बड़े नेताओं का हाथ हो सकता है? हम आपको बात दें कि भारतीय जनता पार्टी ने महीनों पहले धरमजयगढ़ विधानसभा क्षेत्र के लिए हरिशचंद्र राठिया को प्रत्याशी घोषित कर दिया है। जिसके बाद से ही हरिशचंद्र राठिया कड़ी मेहनत कर प्रचार-प्रसार में जुट गए हैं। लेकिन क्या हरिशचंद्र राठिया भाजपा की नैया पार लगाने में कामयाब हो पाएंगे। अनुकूल वातावरण रहते हुए भी कहीं नेताओं की गुटबाजी भाजपा की नैया को डूबा तो नहीं देगी। जिस तरह कांग्रेस में बड़े नेताओं में नाराजगी सुनाई दे रही है। वैसी ही भाजपा में भी खुलकर गुटबाजी दिख रही है। धरमजयगढ़ में थोड़ी बहुत गुटबाजी दिखती है लेकिन घरघोड़ा क्षेत्र में कार्यकर्ताओं की गुटबाजी चरम पर है। जहां भाजपा के कई बड़े बड़े दायित्व लिए हुए कार्यकर्ता हैं। भारतीय जनता पार्टी छाल क्षेत्र एवं घरघोड़ा क्षेत्र में सबसे ज्यादा कमजोर रहती है। लेकिन इस बार इतने सारे बड़े पदाधिकारी इस गड्ढे को बराबर कर सकते हैं। लेकिन एक गुट के बड़े पदों में आसीन होने के बाद दूसरे पंक्ति के कार्यकर्ताओं में जमकर नाराजगी है। यदि इस क्षेत्र से भाजपा बढ़त बना लेती है तो बड़े नेता अपनी ही पीठ थपथपाएंगे। यदि पराजय हुई तो टिकट के दावेदारों या छोटे कार्यकर्ताओं के सिर ठिकरा फोड़ दिया जाएगा। कांग्रेस के प्रति लोगों में विरोध देखने के लिए मिल रहा है वहीं भाजपा एवं हरिशचंद्र राठिया के प्रति विश्वास जता रही है। लेकिन कहीं गुटबाजी के कारण कुछ गड़बड़ न हो जाए।