जोहार छत्तीसगढ़ – लैलूंगा।
इन दिनों छत्तीसगढ़ में विधान सभा चुनाव के मद्देनजर राजनीति एकाएक गरमा गई है । क्योंकि पता नही कब आचार संहिता लग जाये इसका कोई ठिकाना नही । गौरतलब है कि पिछले दो तीन विधान सभा कि यदि बात कि जाये तो लगभग सभी आचार सहिताएँ 10 अक्टूबर से पूर्व लग जाया करती थी । वैसे में जहाँ तक संभावना व्यक्त कि जा रही है कि 10 अक्टूबर के पूर्व ही किसी भी दिन आचार संहिता लग सकती है । एक तरफ सभी प्रमुख राजनैतिक पार्टियाँ टिकिट के बंटवारे को लेकर गुणा भाग करने में जुटी हुई हैं । तो वहीं टिकिट पाने के लिए वर्तमान तथा पूर्व विधायक सहित नये उम्मीदवारों ने विधान सभा चुनाव कि टिकिट पाने कि जुगत में लगे हुए हैं । कोई मुख्यमंत्री बंगले का बगल झांक रहे हैं । पार्टी आला कमान से पहुंच बनाने में लगे हुए हैं, तो कोई मेरा टिकिट मत कट जाये इस डर से भयभीत हैं । वहीं दोनों ही प्रमुख रानीतिक दल भाजपा और कांग्रेस के आला कमान का कहना है । कि टिकट तमाम सर्वे रिपोर्ट के आधार पर तय किये जायेंगे, जहाँ से जो प्रत्याशी जीत सकता है । वैसे प्रत्याशी को टिकिट दिया जायेगा । जो व्यक्ति पद में रहा हो या ना रहा हो उस उम्मीदवार की कई बार सर्वे कराने के बाद जिसका क्षेत्र में जनाधार मजबूत रहेगा उसी उम्मीदवार को टिकिट देकर प्रत्याशी बनाकर चुनाव मैदान में उतारा जायेगा । ये नही कि उस उम्मीदवार के पास सैकड़ों एकड़ भूमि हो, फार्म हाऊस हो, नौ दस भाई हो, पारिवारिक पृष्टभूमि 45 से 50 सदस्य वाला हो, और वह कई राजस्व ग्राम के गौंटिया हो यह आवश्यक नही है । बशर्ते उम्मीदवार का आम जनता तथा कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं में जनाधार अच्छी होनी चाहिए । वहीं लैलूंगा विधान सभा क्षेत्र के ग्राम कटकलिया और मुकडेगा दोनों ही गाँव के गौंटिया चक्रधर सिंह सिदार जो कि वर्तमान में लैलूंगा विधान सभा के विधायक हैं । उनका कहना है कि वे दो – दो गाँव के गौटिया हैं उनके पास कई सौ एकड़ कृषि भूमि हैं, उनके परिवार में लगभग 45 से 50 सदस्य हैं जिनमें से एक दर्जन सदस्य शासकीय नौकरियों में कार्यरत हैं, साथ ही उनके फार्म हाऊस हैं। पर उनके विधान सभा में आम जनता तथा कार्यकर्ताओं में बहुत ज्यादा उनकी निषक्रियता को लेकर जनता में नाराजगी देखी जा रही है । इससे स्पष्ट होता है कि वर्तमान विधायक चक्रधर सिंह को यदि टिकट दिया गया और कहीं चुनाव लड़े तो लैलूंगा विधान सभा से कांग्रेस पार्टि का पत्ता साफ है । क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों के आम जनता एवं कार्यकर्ताओं का साफ – साफ कहना है कि पाँच साल पूर्व चुनाव के समय उनके गाँव में चक्रधर सिंह सिदार आये थे, उसके बाद में उनके गाँव कभी विधयाक आये ना ही कुछ निर्माण कार्य किया गया है। इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि विधायक कि और कितनी निष्क्रियता हो सकती है । लैलूंगा के इतिहास में पहली बार किसी विधायक कि इतनी अधिक विरोध देखने तथा सुनने को मिल रही है तो सहज ही इससे अनुमान लगाया जा सकता है । जबकि चारों ओर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भुपेश बघेल का विकास के नाम पर डंका बज रहा है । और लैलूंगा विधायक के विरोध के स्वर सिर चड़कर बोलने लगी है । अब यह देखना होगा कि कांग्रेस पार्टी लैलूंगा विधान सभा से किसे टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारती है । और कौन चुनाव जीतकर विधान सभा तक पहुंच बना पाता है । यह सब तो समय आने पर ही पता चल सकेगा ।