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प्रशासन की आंखों में धूल झोंक रहे डीबीएल के कर्मचारी! ग्रामीणों ने कंपनी के कथित दावे को किया खारिज

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जोहार छत्तीसगढ़ – धरमजयगढ़।

कहा जाता है कि एक झूठ को दबाने के लिए कई और झूठ बोलने पड़ते हैं। ज्यादातर मामलों में ऐसी स्थिति निर्मित होने के पीछे निजी स्वार्थ उत्तरदायी होता है। लेकिन इस तरह की स्वार्थ सिद्धि के लिए किसी के द्वारा सरकारी नियम कानूनों को ताक पर रख दिया जाना अस्वीकार्य होने के साथ साथ प्रशासन की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। धरमजयगढ़ क्षेत्र में भी एक ऐसा ही मामला सामने आया है। जिसमें दिलीप बिल्डकॉन लिमिटेड कंपनी को पत्थर उत्खनन हेतु आबंटित किए जाने वाले क्षेत्र के लिए बिना अनुमति बनाए जा रहे पहुंच मार्ग को लेकर संबंधित कंपनी के मातहत कर्मचारी स्थानीय प्रशासन को अंधेरे में रखकर खुद को निर्दोष साबित करने पर तुले हुए है। बता दें कि डीबीएल कंपनी को पत्थर उत्खनन के लिए आबंटित किए जाने वाले क्षेत्र के लिए प्रशासन की अनुमति के बिना पहुंच मार्ग बनाने के संबंध में हमने एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की थी। जिसमें बताया गया था कि कंपनी के द्वारा बिना किसी मंजूरी के वहां सड़क निर्माण का काम किया जा रहा है। इस मामले में धरमजयगढ़ एसडीएम डिगेश पटेल ने भी यह बात कही थी कि सड़क या पहुंच मार्ग के बारे में किसी तरह की स्वीकृति नहीं ली गई है। जिसके बाद इस मामले पर प्रकाशित एक और रिपोर्ट को लेकर एसडीएम ने कहा था कि डीबीएल कंपनी के संबंधित कर्मचारियों को तलब किया गया था। एसडीएम ने बताया था कि उनके द्वारा निजी भूमि पर पहुंच मार्ग के निर्माण का दावा किया जा रहा है। इस पूरे मामले की तह तक जाने के लिए हमने संबंधित क्षेत्र का दौरा किया। इस दौरान हमने कुछ स्थानीय लोगों से बात भी की। उन्होंने पहचान की गोपनीयता की शर्त पर हमें बताया गया कि कंपनी द्वारा बनाई जा रही सड़क कुछ लोगों की निजी जमीन से गुजर रही है। उन्होंने एक संबंधित जमीन मालिक का नाम भी बताया। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि इस मार्ग में सरकारी जमीन भी आ रही है। ग्रामीणों ने बताया कि उस इलाके में अधिकांश सरकारी मद की भूमि है। इस मामले में हमने सूत्र द्वारा बताए गए निजी भूमि के बारे में स्वतंत्र रूप से पड़ताल की। जिसमें हमने पाया कि ग्रामीणों के दावे सही हैं। ऐसे में यह स्पष्ट हो जाता है कि कंपनी के निजी भूमि पर सड़क निर्माण के दावे खोखले हैं और कंपनी का यह कथित दावा किसी भी प्रकार की प्रशासनिक कार्रवाई से बचने का एक प्रायोजित हथकंडा मात्र लगता है। हालांकि, धरमजयगढ़ एसडीएम ने डीबीएल कंपनी को नोटिस जारी किए जाने की बात कही है। इस पूरे मामले को लेकर यह बात भी सामने आई है कि कई ऐसे संशोधित नियम बनाए गए हैं, जो इस तरह के खदानों की स्वीकृति की प्रक्रिया को और कठिन बनाते हैं। बहरहाल, यह देखना दिलचस्प होगा कि एक नामी कंपनी की इस तरह की भर्राशाही को लेकर स्थानीय प्रशासन द्वारा आगे किस तरह के कदम उठाए जाते हैं।

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