बाकी साधन_संपन्न और अपने लिए जीने वाले लोग किसी भी दिन को कोई भी नाम देकर कैसा भी उत्सव मना सकते है। आम आदमी को इससे कोई फर्क नही पड़ता।।
मुझे लगता है कि करोड़ो-अरबो रुपयों का खर्च कर योग दिवस के प्रचार-प्रसार से बेहतर होता,कि करीब 20,करोड़,भूखे,बदहाल,बीमार,गरीब,निरीह बच्चों के लिए आज के दिन कुछ सार्थक कर लेते।। वैसे भी दैनिक जरूरतों के लिए कड़ा संघर्ष करने वाले वाले हमारे देश में हर उत्शव तब तक बेमानी है जब तक अपने 20 करोड़ जरूरतमंद बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए हम आप कुछ बेहतर नही कर लेते….
वैसे भी जो चीज़ें दैनिक की जाती हों, उसके उत्सव का ढोंग क्यों करना.? ऐसे तो योग दिवस के तर्ज पर आने वाले दिनों में गम्भीर मुद्दों से घिरी असफल सरकारें आपसे विश्व अन्न_ जल ग्रहण,विश्व कार्यालय गमन,घर आगमन,संध्यास्वल्पाहार,रात्रि भोज,शयनउठन और विश्व शौच-स्नान आदि दिवस भी मनवाने वालीं हैं।
फिर भी आपको आपके विश्व योग दिवस 21 जून की ढेरों बधाइयां..